वाशिंगटन:एन पी न्यूज 24– चीन के वुहान शहर से पैदा हुए जानलेवा कोरोना वायरस ने पूरे विश्व में हाहाकार मचा दिया है. ऐसे में पूरी दुनिया चीन की तरफ शक भरी निगाहों से देख रही है. बड़े-बड़े देशों ने चीन पर बीमारी फ़ैलाने और इससे जुड़ी जानकारी छुपाने का आरोप लगाया है. चीन के साथ ही अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी निशाने पर आ गया है. अब अमेरिका ने WHO पर चीन केंद्रित होने का आरोप लगाते हुए WHO के वित्त पोषण पर ‘रोक’लगाने का कड़ा ऐलान किया है.
बता दे कि WHO के इस रुख पर ट्रंप ने काफी नाराजगी जताई है. इसका अंदाजा व्हाइट हाउस के नियमित संवाददाता सम्मेलन में ट्रंप की बातों से लगाया जा सकता है. इस दौरान ट्रंप ने WHO के रुख के खिलाफ कड़ा कदम उठाते हुए कहा कि, ‘‘हम WHO पर खर्च की जाने वाली वित्तीय सहायता पर बहुत प्रभावशाली रोक लगा रहे हैं. यदि WHO अपनी जिम्मेदारी निभाता तो बहुत अच्छी बात होती. लेकिन जब वे हर कदम को गलत कह रहे हैं तो यह ठीक नहीं है. उनके पास पहले ही काफी जानकारी थी, लेकिन उन्होंने जगजाहिर नहीं की. वे महीनों पहले इसके बारे में बता सकते. वे काफी हद तक चीन केंद्रित लग रहे हैं.’
ट्रंप के मुताबिक ‘‘WHO सिर्फ अमेरिकी लोगों के लिए ही नहीं बल्कि वह कोविड-19 से निपटने में बड़ी लापरवाही के साथ विश्व के मोर्चे पर भी असफल हुआ है.’
ट्रंप ने आगे कहा कि, ‘‘अमेरिका WHO 5.8 करोड़ डॉलर से अधिक की धनराशि देता है. इतने सालों में उन्हें जो आर्थिक सहायता दी गई है, उसके मुकाबले 5.8 करोड़ डॉलर छोटा-सा हिस्सा हैं. कई बार उन्हें इससे कहीं अधिक भी मिलता है.’
बता दें कि WHO मुख्यालय जिनेवा में स्थित है और अमेरिका उसे मदद के रूप में बड़ी धनराशी देता है.
WHO के खिलाफ स्वतंत्र जाँच की मांग
बता दें कि इस बीच, सीनेट की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष सीनेटर जिम रिच ने कोविड-19 से निपटने में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की नाकामी को छिपाने में संगठन की भूमिका की अंतरराष्ट्रीय आयोग से स्वतंत्र जांच कराने की भी मांग की है.
WHO के महानिदेशक से माँगा इस्तीफा
यहीं नहीं लगभग 24 सांसदों के एक समूह द्वारा WHO के महानिदेशक टेड्रोस गेब्ररेयेसुस से इस्तीफे की मांग की है व उनका इस्तीफा न आने तक WHO की निधि रोकने संबंधित प्रस्ताव लाने ऐलान भी मंगलवार को किया है.
गौरतलब है कि कोरोना वायरस के फ़िलहाल सर्वाधिक मामले अमेरिका से सामने आ रहे हैं, जबकि इस कथित वायरस के कारण सबसे अधिक मौतें इटली, स्पेन, फ्रांस और अमेरिका में हुई हैं.