लंदन, 26 मार्च –एन पी न्यूज 24 – लाखों लोग जो कोरोना वायरस से पीड़ित है या इस बीमारी से डरे हुए है वह आज इसके इलाज के लिए किसी वैक्सीन का इंतजार कर रहे है। दुनिया की 35 फार्मा कंपनियां और संस्थाएं वैक्सीन बनाने में जुटी है। इन कंपनियों ने अपना परीक्षण जानवरो पर शुरू भी कर दिया है।
साइंस जनरल ऑफ़ अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ़ एडवांसमेंट इन साइंस ने बताया कि बोस्टन की बायोटेक कंपनी मोर्डर्ना थेरेप्युटिक्स ने नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ एलर्जी एंड इन्फेक्शन डिजीज के साथ मिलकर वैक्सीन बनाने में सबसे आगे है।
कंपनी का कहना है कि उसकी योजना इस साल सितम्बर तक हेल्थ कर्मियों को वैक्सीन वितरित करना है।
चीन की मेडिकल अथॉरिटी ने बिना देर किये जनवरी में ही रिसर्च ग्रुप के साथ इस वायरस की जानकारी साझा की थी। इस सहयोग की वजह से पूरी दुनिया की रिसर्च कंपनियों ने को जिंदा विकसित किया और स्टुडी की कि यह वायरस मानव ऊत्तकों में प्रवेश करता है और उन्हें बीमार बनाता है।
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एक रिपोर्ट के अनुसार नोवोवेक्स नामक कंपनी ने कहा है कि उसने नया वैक्सीन बनाया है और उसके पास ऐसे कई लोग जो मानव परीक्षण के लिए खुद से उनके पास आये है। वैश्विक नियमो के अनुसार किसी भी वैक्सीन का ट्रायल तीन चरणों में किया जाता है।
पहले चरण में वैक्सीन का परीक्षण कुछ दर्जन स्वास्थ्य खुद से सामने आये लोगों पर किया जाता है। ताकि इसके प्रतिकूल प्रभाव और सुरक्षा की जांच जा सके. दूसरे चरण में कई सैकड़ों लोगों पर परीक्षण किया जाता है जो महामारी प्रभावित दुनिया के हिस्सों में रहते है और देखा जाता है कि वैक्सीन कितना कारगर है।
तीसरे चरण में बीमारी से लड़ने में वैक्सीन की प्रभावशीलता जांच के लिए हज़ारों लोगों पर इसका परीक्षण किया जाता है।