Chhichhore Review : कॉलेज की याद दिलाती हैं सुशांत-श्रद्धा की छिछोरे, देती है बड़ा मैसेज

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मुंबई : एन पी न्यूज 24 – सुशांत सिंह राजपूत और श्रद्धा कपूर की फिल्म छिछोरे आज रिलीज हुई। फिल्म में रोमांस कॉमिडी के साथ-साथ बड़ा मैसेज भी है। नितेश तिवारी ने फ़िल्म का निर्देशक किया है। फिल्म में वह कॉलेज डेज की छिछोरी यादें हों, दोस्ती में मर-मिटने की बातबी हो, होनहार स्टूडेंट्स का कॉम्पटिटिव एग्ज़ाम में सिलेक्ट होने का प्रेशर हो ये सारी चीज़ें है। फिल्म में सुशांत-श्रद्धा के अलावा वरुण शर्मा और प्रतीक बब्बर जैसे कई शानदार एक्टर है। फिल्म को सोशल मीडिया पर काफी अच्छे रिव्यूज मिल रहे हैं। बता दें कि नितेश तिवारी ने ही 2016 में ‘दंगल’ जैसी सुपरहिट फिल्म बनायीं थी।

फिल्म की कहानी –
यह फिल्म अनिरुद्ध (सुशांत सिंह राजपूत) और माया (श्रद्धा कपूर) की जिंदगी पर आधारित है। जो दोनों शादी करते हैं लेकिन बाद में उनका तलाक हो जाता है। अनिरुद्ध (सुशांत सिंह राजपूत) का बेटा राघव (मोहम्मद समद) पढ़ाई -लिखाई में बहुत होनहार और मेहनती है और एंट्रेंस एग्ज़ाम में सिलेक्ट होने के प्रेशर से गुजर रहा है। माया (श्रद्धा कपूर) से डिवॉर्स लेने के बाद अनिरुद्ध सिंगल पैरंट है। एंट्रेंस एग्जाम्स में जब राघव का सिलेक्शन नहीं हो पाता, तो वह इस सदमे को बर्दाश्त नहीं कर पाता और दोस्त की बिल्डिंग से कूदकर जान देने की कोशिश करता है। अनिरुद्ध को लगता है कि राघव को इस हालत से बाहर लाने का एक ही रास्ता है और वो उसे अपने (अनिरुद्ध के) कॉलेज के दिनों में ले जाना, जहां ना केवल उसे माया से प्यार हुआ था बल्कि सेक्सा (वरुण शर्मा), एसिड (नवीन पोलिशेट्टी), डेरेक (ताहिर राज भसीन), बेवड़ा (सहर्श कुमार शुक्ला) और मम्मी (तुषार पांडे) जैसे दोस्त भी मिले।

इसके बाद फिल्म कॉलेज लाइफ की तरफ जाती है जिसमें मस्ती और एनर्जी नजर आती है। फिल्म में ऐसे कई सीन हैं जो बहुत फनी हैं। फिल्म में कई एडल्ट जोक भी है। फ्लैशबैक में जाने के बाद फिल्म काफी मजेदार हो जाती है जिसमें रोमांस, कॉमेडी से लेकर हॉस्टल लाइफ की मस्ती तक देखने को मिलती है। फिल्म में आगे दोस्ती, मस्ती प्यार सब कुछ है। ये फिल्म देखने के बाद पता चलेगा कि अनिरुद्ध का बेटा राघव कैसे मुश्किल परिस्थिति से बाहर निकलता है।

एक्टिंग –
फिल्म में श्रद्धा ने यंग और उम्रदराज माया का रोल बेहतरीन तरीके से निभाया है। वहीं यंग अनिरुद्ध (अन्नी) के रोल में सुशांत जम गए हालांकि उम्रदराज अनिरुद्ध के किरदार में वो थोड़े अनकंफर्टेबल नजर आए लेकिन उनका काम अच्छा है। मम्मी का किरदार निभा रहे तुषार पांडे, सेक्सा बने वरुण शर्मा और डेरेक के किरदार में ताहिर राज भसीन जमे हैं। वरुण शर्मा ने अपने बोल्ड जोक्स के साथ खूब हंसाने की कोशिश की है।

फिल्म की कमजोरी –
नितेश तिवारी का डायरेक्शन उम्दा है। वो ह्यूमर का संतुलन भी बनाए चलते हैं और कहानी में उत्सुकता भी बनाए रखते हैं। फिल्म थोड़ी सी खिंच ज़रूर गई है।  छोटी की जा सकती थी। एक और बात, जब तमाम दोस्त बूढ़े दिखाए गए हैं, तो उनका मेकअप बहुत नकली सा लगता है मतलब सिर्फ चेहरा बदल दिया और बाकी शरीर सब वैसा ही। ये अलग से फील होता है।

फिल्म की खूबी –
फिल्म करीब 2.30 घंटे लंबी है। इसके कुछ सीन्स को देखकर दर्शकों को फिल्म थ्री इडियट्स की याद आएगी। एकेडमिक सफलता और विफलता पर आधारित इस फिल्म से युवा और माता- पिता खुद को जोड़ पाएंगे। फिल्म का डायरेक्शन और डायलॉग्स बहुत अच्छे हैं। नितेश तिवारी एक सुलझे हुए संवेदनशील निर्देशक हैं और उनके ये गुण ‘छिछोरे’ में भी देखने को मिलते हैं। उन्होंने नब्बे के दशक के माहौल को बहुत ही खूबसूरती से दर्शाया है।  बॉयज हॉस्टल में बैचलर लड़कों की दुनिया कॉमिडी, छिछोरी डायलॉगबाजी, रोमांस और राइवलरी से दर्शकों का भरपूर मनोरंजन करती है।

नितेश तिवारी ने आजमाए हुए फॉर्मूले पर ही फिल्म गढ़ने की कोशिश की है जो बहुत ही ज्यादा प्रेडिक्टेबल है। फिल्म में संदेश देने की कोशिश है, यह मैसेज यूथ को लेकर है। कुल मिलाकर ये एक अच्छी फिल्म में। आप इस फिल्म को देखने अपने फ्रेंड्स संग जा सकते है। फिल्म आपको बिल्कुल भी बोर नहीं करेगी। पुणे समाचार की ओर से फिल्म को 4 स्टार दिए जाते है।

 

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