उमर अब्दुल्ला एक सप्ताह और हिरासत में ही रहेंगे, सुनवाई टली 

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नई दिल्ली.एन पी न्यूज 24 – उमर अब्दुल्ला पांच अगस्त, 2019 से सीआरपीसी की धारा 107 के तहत हिरासत में हैं। इस कानून के तहत, उमर अब्दुल्ला की छह महीने की एहतियातन हिरासत अवधि पांच फरवरी 2020 को खत्म होने वाली थी, लेकिन सरकार ने उन्हें फिर से पीएसए के तहत हिरासत में ले लिया है। अब  ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की नागरिक सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत हिरासत को चुनौती देने वाली उनकी बहन सारा पायलट की याचिका की सुनवाई बुधवार को एक सप्ताह के लिए टाल दी। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन के वकील से पूछा कि क्या प्रशासन उमर की रिहाई के बारे में सोच रहा है या नहीं। वकील ने कहा कि वह प्रशासन से इस बारे में जानकारी हासिल करके न्यायालय को अवगत कराएगा।

इसके बाद न्यायालय ने मामले की सुनवाई एक सप्ताह के लिए टाल दी। सुनवाई के दौरान सारा पायलट के वकील कपिल सिब्बल ने खंडपीठ से मामले की सुनवाई जल्दी करने का अनुरोध किया है। सारा पायलट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है। उन्होंने गत 10 फरवरी को शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल करते हुए अपने भाई उमर अब्दुल्ला को जेके-पीएसए-1978 के तहत हिरासत में लिए जाने को अवैध बताया था। खंडपीठ ने गत 14 फरवरी को याचिका की सुनवाई करते हुए जम्मू-कश्मीर प्रशासन को नोटिस जारी किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन से पूछा कि अगले सप्ताह तक बताएं कि उमर अब्दुल्ला को रिहा किया जा रहा है या नहीं? साथ ही कोर्ट ने कहा कि अगर आप उमर अब्दुल्ला को रिहा कर रहे हैं तो उन्हें जल्द रिहा कीजिए या फिर हम हिरासत के खिलाफ उनकी बहन की याचिका पर सुनवाई करेंगे। बता दें, जम्मू कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के राज्यसभा सदस्य नजीर अहमद लावे ने सोमवार को कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आश्वासन दिया है कि जम्मू-कश्मीर में हिरासत में लिए गए पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती सहित सभी राजनीतिक नेताओं को जल्द ही रिहा कर दिया जाएगा। संसद भवन में प्रधानमंत्री से भेंट करने वाले लावे ने कहा कि उन्होंने 20 मिनट की मुलाकात के दौरान मोदी को जम्मू-कश्मीर की मौजूदा स्थिति से अवगत कराया और उनसे उमर, महबूबा और पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैसल सहित सभी बंदियों को रिहा करने का अनुरोध किया है।

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