Coronavirus : बहुत ही घातक है हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन, दवा लेने वाले मरीजों की ज्यादा हो रही मौत


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नई दिल्ली :एन पी न्यूज 24 – कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में हाहाकार मचा रखा है। हर दिन हजारों लोगों की मौत हो रही है। भारत की बात करें तो यहां कोरोना मरीजों की संख्या 18600 के पार पहुंच गयी है। जबकि मरने वालों की संख्या 592 हो गयी है। सबसे ज्यादा चिंता इलाज को लेकर है। कोरोना की भयावहता का सामना कर रहे अमेरिका ने भारत से मदद मांगी थी। जिसके बाद भारत ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा अमेरिका को भेजा। अब अमेरिका से ही एक नई स्टडी सामने आई है जिसमें कहा गया है कि सामान्य इलाज की तुलना में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा लेने वाले मरीजों की मौत ज्यादा हो रही है।

हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन लेने वाले मरीजों की ज्यादा हो रही मौत –
अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ और यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया के शोधकर्ताओं ने पाया है कि जिन कोरोना मरीजों का इलाज सामान्य तरीकों से हो रहा है, उनके मरने की आशंका कम रहती है। जबकि, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की दवा का उपयोग करने पर मरीजों की ज्यादा मौत हुई है। स्टडी में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की दवा से करीब 28 फीसदी कोरोना मरीजों की मौत हो रही है। जबकि, सामान्य प्रक्रिया से इलाज करते हैं तो सिर्फ 11 प्रतिशत मरीज ही अपनी जान गवां रहे हैं। स्टडी में यह भी पाया गया कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की दवा कोरोना मरीज को अकेले दी जाए या एजिथ्रोमाइसिन के साथ दी जाए, मरीज के ठीक होने के चांस कम रहते हैं।

NIH और यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया के वैज्ञानिकों के अनुसार –
NIH और यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया के वैज्ञानिकों की टीम ने 368 कोरोना मरीजों के ट्रीटमेंट प्रक्रिया की जांच की। इनमें से कई मरीज या तो मर चुके थे, या फिर ठीक हो गए। इस जांच में पता चला कि 97 मरीजों को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दी गई। 113 मरीजों को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के साथ एजिथ्रोमाइसिन दी गई।  जबकि, 158 मरीजों का इलाज सामान्य तरीके से किया गया। उन्हें हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की दवा नहीं दी गई।

जिन 97 मरीजों को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की दवा दी गई थी, उसमें से 27.8% मरीजों की मौत हो गई। जिन 113 मरीजों को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की दवा के साथ एजिथ्रोमाइसिन की दवा दी गई थी उनमें से 22.1% मरीजों की मौत हो गई। जबकि, उन 158 मरीजों की बात करें तो जिन्हें हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की दवा नहीं दी गई, उनमें सिर्फ 11.4% मरीज ही मारे गए।

ब्राजील भी नहीं करेगा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल –
सिर्फ अमेरिका में ही डॉक्टर इस दवा के उपयोग से बच रहे हैं। ब्राजील में भी डॉक्टरों ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा का उपयोग कोरोना मरीजों पर करने से मना कर दिया है। क्योंकि दवा देते ही मरीज को दिल और सांस संबंधी दिक्कतें बढ़ जाती हैं।

कंपनी के बड़े अधिकारियों के साथ डोनाल्ड ट्रंप के गहरे रिश्ते –
न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार अगर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को दुनियाभर में कोरोना के इलाज के लिए अनुमति मिलती है तो उससे ये दवा बनाने वाली कंपनियों को बहुत फायदा होगा। ऐसी ही एक कंपनी में डोनाल्ड ट्रंप का शेयर है। साथ ही उस कंपनी के बड़े अधिकारियों के साथ डोनाल्ड ट्रंप के गहरे रिश्ते हैं।

 

 

 

 

 

 


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