नई दिल्ली : एन पी न्यूज 24 – कोरोना से मचे कोहराम के बीच नासा ने एक ऐसी जगह बताई है, जहां पर रहने वाले लोग बीमार नहीं पड़ते। यहां के सिर्फ एक बार एक व्यक्ति को 52 साल पहले जुकाम हुआ था। नासा ने स्पेस स्टेशन को कोरोना वायरस सहित तमाम बीमारियों के लिहाज से अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आईएसएस) को बेहद सुरक्षित बताया है और इसके पीछे हेल्थ स्टेबलाइजेशन तकनीक के होने की बात कही है।
स्पेस स्टेशन धरती की निचली कक्षा में चक्कर लगाता हुआ एक ठिकाना है, जहां पर अंतरिक्ष में जाने वाले अंतरिक्ष यात्री कुछ समय के लिए ठहरते हैं और यहां अहम रिसर्च और प्रयोगों को अंजाम देते हैं। यह पृथ्वी के चारों ओर घूमते किसी बड़े सैटेलाइट की तरह है। बीमार लोगों के लिए इस स्पेस स्टेशन में एक खास जगह होती है, उन्हें अलग रखा जाता है। हालांकि इसके इस्तेमाल की नौबत नहीं आती है। स्पेस स्टेशन में सैनेटाइज करने वाले कैमिकल होते हैं और जरूरत पड़ने पर पूरे स्पेस स्टेशन को सैनेटाइज किया जा सकता है। इमरजेंसी आने पर स्पेस स्टेशन से तुरंत निकलकर धरती पर आने की सुविधा भी हमेशा मौजूद रहती है।
मिशन अपोलो-7 में अंतरिक्ष यात्री को हुआ जुकाम
साल 1968 में लॉन्च किए गए अपोलो-7 मिशन के दौरान नासा के अंतरिक्ष यात्री वैली शीरा को अंतरराष्ट्रीय स्पेश स्टेशन में रहते हुए जुकाम हो गया था। उनके साथ डॉन एफ. ईसल और वॉल्टर कनिंघम नाम के दो अंतरिक्ष यात्री थे और इन सभी लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था, क्योंकि वैली के छीकने पर नाक निकली बूंदें गुरुत्वाकर्षण न होने की वजह से हवा में तैरती रहती थीं। इसके बाद ही नासा ने अंतरिक्ष यात्रियों को बीमारी से बचाने की तकनीक बनाने पर काम शुरू किया।