कोरोना ने दुनिया को डराया, लेकिन कमलनाथ को बचाया

-फ्लोर टेस्ट का मामला पहुंचा अब सुप्रीम कोर्ट

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-भाजपा ने की 48 घंटे के अंदर सुनवाई की मांग
भोपाल. एन पी न्यूज 24 –  मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार सोमवार को फ्लोर टेस्ट का सामना करने से बच गई। या यों कहें कि दुनिया को डराने वाला कोरोना कमलनाथ के लिए संजीवनी साबित हुआ है। दरअसल,  कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को ध्यान में रखते हुए विधानसभा की कार्यवाही को 26 मार्च तक स्थगित कर दिया गया, वहीं   आज फ्लोर टेस्ट न होने से नाराज भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और 48 घंटे में मामले की सुनवाई करने की मांग की है।

विस अध्यक्ष चुप
राज्यपाल द्वारा दिए गए फ्लोर टेस्ट के निर्देशों पर विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति चुप्पी साधे हैं। प्रजापति ने मीडिया से कहा कि फ्लोर टेस्ट का फैसला सदन ही करेगा। सदन क्या फैसला लेगा, यह काल्पनिक सवाल है। जब उनसे पूछा गया कि राज्यपाल के निर्देश पर फ्लोर टेस्ट होगा या नहीं, जवाब में स्पीकर ने इसे भी काल्पनिक सवाल बताकर टाल दिया।

26 मार्च तक विधानसभा स्थगित
विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने कोरोना वायरस का हवाला देते हुए सदन को 26 मार्च तक स्थगित कर दिया। इस पर भाजपा विधायकों ने जमकर हंगामा किया और कहा कि सरकार फ्लोर टेस्ट से डर रही है। इसके पहले सीएम कमलनाथ ने राज्यपाल को चिट्ठी लिखकर फ्लोर टेस्ट रोकने की मांग की। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थिति में फ्लोर टेस्ट कराना अलोकतांत्रिक होगा। कमलनाथ ने आरोप लगाया है कि बीजेपी ने कांग्रेस के कई विधायकों को कर्नाटक में बंदी बना लिया है।  कांग्रेस के मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि हम फ्लोर टेस्ट का सामना करने के लिए तैयार हैं, लेकिन फ्लोर पूरा नहीं हुआ है। कांग्रेस के 16 विधायकों को गायब कर दिया गया है, जिसके बारे में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने गृह मंत्री अमित शाह को सूचना दी है। जब तक उनके विधायकों को स्वतंत्र नहीं किया जाता, तब तक फ्लोर टेस्ट नहीं हो सकता।

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