पिंपरी। एन पी न्यूज 24- राज्यसभा चुनाव के लिए भाजपा ने ‘नो-रिपीट’ फॉर्मूला के तहत राज्यसभा चुनाव में कई दिग्गज नेताओं का टिकट काट दिया है और उनकी जगह नए चेहरों को राज्यसभा में भेजने का फैसला किया है। इस फार्मूले का फ़टका भाजपा के राज्यसभा सांसद रहे अमर साबले और सहयोगी सांसद रहे संजय काकड़े को लगा है। दो सीटों से आरपीआई सुप्रीमो रामदास आठवले और सातारा के राजे उदयन भोसले को प्रत्याशी घोषित करने के बाद तीसरी सीट से औरंगाबाद के डॉ भागवत कराड को प्रत्याशी घोषित किया गया। इससे राज्यसभा के सांसद रहे साबले और काकड़े के हाथ निराशा लगी है।
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महाराष्ट्र में कुल 7 राज्यसभा की सीटें खाली हो रही हैं। इनमें से 2 राष्ट्रवादी कांग्रेस, एक कांग्रेस, एक शिवसेना, एक भाजपा, एक आरपीआई और एक निर्दलीय के खाते में है। भाजपा के कोटे से आरपीआई नेता रामदास आठवले और अमर शंकर साबले राज्यसभा सदस्य थे। पार्टी ने इस बार सहयोगी दल के तौर पर रामदास आठवले को तो पुनः प्रत्याशी बनाया है, लेकिन अमर साबले का टिकट काट दिया है और उनकी जगह उदयनराजे भोसले को उच्च सदन भेजने का फैसला किया है। इसके अलावा तीसरी सीट से औरंगाबाद के पूर्व महापौर डॉ. भागवत कराड को प्रत्याशी घोषित किया गया है।
अमर साबले पिंपरी चिंचवड़ और संजय काकड़े पुणे में भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं। हालांकि बतौर राज्यसभा सांसद उनके कामकाज पर पार्टी हाईकमान नाखुश नजर आया है। गत विधानसभा चुनाव के बाद हुए राज्यसभा चुनाव में साबले की ‘लॉटरी’ खुल गई थी। मगर वे अपने कामकाज की कोई विशेष छाप न छोड़ सके, न ही अपने शहर के लिए केंद्र सरकार की कोई परियोजना ला सके। इसके विपरीत भाजपा के सहयोगी सांसद रहे संजय काकड़े ने पुणे मनपा के आम चुनाव में राष्ट्रवादी कांग्रेस की सत्ता पलटने में अहम भूमिका निभाई। मगर उनके बड़बोलेपन से पार्टी हाईकमान नाराज चल रहे थे। उनका पत्ता कटने के लिए उनका बड़बोलापन और विवादित बयानबाजी प्रमुख वजहें बताई जा रही हैं।