वायु प्रदूषण के खिलाफ 114 साल पहले देश में शुरू हुई थी लड़ाई, 1905 में बना पहला कानून

0

नई दिल्ली : एन पी न्यूज 24 –देश में वायु प्रदुषण की समस्या काफी गंभीर हो चुकी है. सरकार से लेकर कोर्ट तक इसे लेकर चिंता जाहिर कर चुकी है. कोर्ट ने दिल्ली और पंजाब सरकार को फटकार भी लगाई है. लेकिन क्या आप जानते है वायु प्रदुषण के खिलाफ देश में लड़ाई की शुरुआत करीब 114 साल पहले हुई थी. वायु प्रदुषण के खिलाफ पहला कानून बंगाल स्मोक न्यूसेन्स एक्ट 1905 में बंगाल में बना था.

 

आजाद भारत में 80 के दशक में इस खतरे को गंभीरता से महसूस किया गया. वायु प्रदुषण पर अब हुए तमाम रिसर्च और इसके इतिहास पर वन एवं पर्यावरण मंत्रालय और सीएसआईआर की नागपुर स्थित लेब्रोटरी नीरी ने बुधवार किओ एक पोर्टल लांच किया। इसी में बताया गया कि वायु प्रदुषण की रोकथाम के लिए अंग्रेजों ने पहला कानून 1905 में बनाया था.

पहला दंड 2 हज़ार रुपए का था 

बंगाल स्मोक न्यूसेन्स अधिनियम में भट्टियों आदि से एक सीमा से ज्यादा वायु प्रदुषण होने पर दो हज़ार रुपए का दंड रखा गया था. दूसरी बार ये गलती करने पर पांच हज़ार रुपए का दंड का प्रावधान था. अस्सी और नब्बे के दशक ने और भी कई कानून बने थे.

नीरी के इस पोर्टल इंडिया एयर में 3300 अध्ययन, 1550 लेख, 700 रिपोर्ट और 9 कानून का ब्यौरा है.

आजादी के बाद नहीं दिखी सख्ती 

नीरी के निदेशक डॉ. राकेश कुमार का कहना है कि वायु प्रदुषण को लेकर जितने सख्त कानून आजादी के पहले बने, उतने बाद में नहीं बने. 1913 में बॉम्बे स्मोक कानून बना. भोर कमेटी ने इस मुद्दे पर रिसर्च किया। 1963 में गुजरात स्मोक न्यूसेन्स कानून बनाया गया जो अहमदाबाद और उसके आसपास के क्षेत्रों में लागु हुआ.

सांसदों की मांग नहीं हुई पूरी

पोर्टल में उपलब्ध वायु प्रदुषण के इतिहास में बताया गया है कि आजादी के बाद 1972 में जब संसद में जल प्रदुषण के खिलाफ कानून पारित हो रहा था तो सांसदों ने वायु प्रदूषण के खिलाफ भी कानून बनाने की मांग रखी. लेकिन यह मांग पूरी नहीं हुई. करीब 12 सालों के बाद 1982 में वायु प्रदूषण कानून बनाया गया.

visit : npnews24.com

Leave A Reply

Your email address will not be published.