Supreme Court On Bhide Wada Smarak | भिडे वाडा के किरायेदारों की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की! महीने भर में वाडा खाली करे अन्यथा पालिका का भूमि अधिग्रहण का सभी विकल्प खुला रहेगा


Supreme Court On Bhide Wada Smarak

पुणे : एन पी न्यूज 24 ऑनलाइन – Supreme Court On Bhide Wada Smarak | ऐतिहासिक भिडे वाडा को लेकर उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश के खिलाफ किरायेदारों द्वारा दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया हैं. इतना ही नहीं बल्कि याचिकाकर्ता को कड़े शब्दों में फटकार लगाते हुए एक महीने के अंदर वाडा खाली करने अन्यथा महापालिका को जबरन भूमि अधिग्रहण का आदेश दिए जाने से भिडे वाडा राष्ट्रीय स्मारक का रास्ता आखिरकार साफ हो गया है.(Supreme Court On Bhide Wada Smarak)

महत्मा फुले और क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले ने भिडे वाडा में महिलाओं के लिए पहली स्कूल शुरू की थी. यह वाडा जर्जर हो गई है. इस वाडा को राष्ट्रीय स्मारक बने इसकी मांग पिछले कई वर्षे से हो रही है. इसके लिए विभिन्न राजनीतिक पार्टियों और सामाजिक संगठनों ने समय समय पर आंदोलन किया है. लेकिन वाडा के रहिवासी और व्यवसायियों को नई नियमावली के अनुसार कैश मुआवजा मिले इसके लिए महापालिका के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. साधारणत: 13 वर्षों तक इस याचिका पर चली सुनवाई के बाद हाल ही में 16 अक्टूबर को उच्च न्यायालय ने निर्णय सुनाते हुए 2008 में किए गए अवोर्ड के अनुसार जमीन का मुआवजा और 2013 के कानून के अनुसार बढ़ा हुआ मुआवजा देने का आदेश देने पर यहां पर पालिका ने बाजी मार ली है. राजनीतिक पार्टियों व संगठनों के कार्यकर्ताओं इसका शानदार स्वागत किया. भिडे वाडा के पास जश्न मनाते हुए कार्यकर्ताओं ने शक्कर, पेड़े बांटे. इसके बाद महापालिका सुप्रीम कोर्ट में कैवेट दायर करते हुए भूमि अधिग्रहण की आगे की कार्यवाही भी शुरू की है.(Supreme Court On Bhide Wada Smarak)

इस बीच उच्च न्यायालय के इस निर्णय के खिलाफ रहिवासी और व्यवसायियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस पर आज न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई. कोर्ट में इस मामले में पहले ही 13 वर्ष की कालावधी बीत चुकी है. उच्च न्यायालय ने विस्तृत फैसला सुनाया है. इसके बावजूद फिर से कोर्ट का समय बर्बाद करने पर दंड क्यों न लगाया जाए. इतना ही नहीं बल्कि किराएदारों को एक महीने में वाडा को खुद से खाली कर दे अन्यथा महापालिका तरीके से वाडा का अधिग्रहण किया जाएगा. यह स्पष्ट करते हुए किराएदारों की अपील को खारिज कर दिया.
महापालिका की तरफ से वरिष्ठ वकील माधवी दिवान और वकील मकरंद ज्ञा. आडकर, प्रवीण वा. सटाले
और शंतनु म. आडकर ने पक्ष रखा. यह जानकारी महापालिका की विधि अधिकारी निशा चव्हाण ने दी. पालिका के प्रॉपर्टी व भूसंपादन विभाग की उपायुक्त प्रतिभा पाटिल भी कोर्ट में सुनवाई के लिए उपस्थित थी.

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