नई दिल्ली, 20 मार्च –एन पी न्यूज 24 – निर्भया को इंसाफ मिल गया है. उसके चार दोषी जो अब तक जेल में बंद थे उन्हें आज सुबह साढ़े पांच बजे फांसी दे दी गई। इन चारो को जल्लाद पवन ने फांसी पर लटकाया। पवन उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले से जुड़ा है। उसे हर महीने वेतन मिलता है। वह मेरठ का है लेकिन शायद ही उसे इस शहर में कोई पहचानता है।
वह इस शहर में साइकिल पर कपड़े बेचने का भी काम करता है। पवन की उम्र 57 साल है। फांसी देने को वह महज एक पेशे के तौर पर देखते है।उनका कहना है कि किसी व्यक्ति को कोर्ट से दंड मिला है तभी उसे फांसी दी जा रही है। इसलिए वह अपने पेशे को ईमानदारी से निभा रहे है।
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उन्हें इस काम से जुड़े चार दशक से भी ज्यादा समय हो चुका है। जब पवन किशोर थे तब वह अपने दादा कल्लू जल्लाद के साथ फांसी के काम में मदद करते थे। कालू जल्लाद ने अपने पिता लक्ष्मण सिंह की मौत के बाद 1989 में इस काम से जुड़े थे। कालू ने अपने जीवन काल में 60 से ज्यादा लोगों को फांसी दी. इसमें इंदिरा गांधी के हत्यारे सतवंत सिंह और केहर सिंह का नाम शामिल है। इससे पहले रंगा और बिल्ला को भी उन्होंने ही फांसी दी थी।
पवन का दावा है कि उसके बाबा लक्ष्मण सिंह ने अंग्रेजो के ज़माने में लाहौर जेल में भगत सिंह और उनके साथियों को फांसी दी थी। पवन के 7 बच्चे है। इनमे पांच बेटी और दो बेटे है। एक बेटी और दो बेटो की शादी हो गई है। उनका बेटा जल्लाद नहीं बनना चाहता है।