न्यूयार्क. एन पी न्यूज 24 – अमेरिका से एक अच्छी खबर आ रही है। चूंकि वैज्ञानिकों का मानना है कि टीका ही कोविड 19 (COVID-19) का अंतिम इलाज है, इसलिए वहां युद्धस्तर पर इस टीके की खोज शुरू हो गई है। वहां के एक अधिकारी ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर बताया कि परीक्षण के पहले प्रतिभागी को सोमवार को प्रायोगिक टीका दिया जाएगा. परीक्षण के बारे में सार्वजनिक तौर पर फिलहाल कोई घोषणा नहीं की गई है, लेकिन जब तक किसी टीके का क्लिनिकल परीक्षण नहीं होता, ये जानना मुश्किल है कि उसका किस तरह से असर पड़ सकता है। अधिकारी ने कहा कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ इस ट्रायल को फंड कर रहा है, जो सिएटल के कैंसर परमानेंट वाशिंगटन हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट में हो रहा है. सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि किसी भी संभावित वैक्सीन को पूरी तरह से मान्य करने में एक साल से 18 महीने तक का समय लगेगा।
जानवरों पर हो रहा टेस्ट
इस वायरस पर शोध करने वाले डॉक्टरों का कहना है कि उन्होंने इसका टीका बना लिया है और जानवरों पर इसका टेस्ट शुरू कर दिया है। अगर सब कुछ सही रहा तो इसी साल इंसानों में भी इसका परीक्षण शुरू किया जा सकता है।
कोरोना वायरस कोविड 19 को लेकर बेहद तेज़ गति से काम चल रहा है और टीका बनाने के लिए भी अलग-अलग रास्ते अपनाए जा रहे हैं। अब तक चार तरह के कोरोना वायरस पाए गए हैं जो इंसानों में संक्रमण कर सकते हैं. इन वायरस के कारण सर्दी-खांसी जैसे लक्षण दिखते हैं और इनके लिए अब तक कोई टीका नहीं है।
ब्लू प्रिंट तैयार
कोरोना वायरस के मामले में फिलहाल जो नया टीका बनाया जा रहा है, उसके लिए नए तरीक़ों का इस्तेमाल हो रहा है और जिनका अभी कम ही परीक्षण हो सका है। नए कोरोना वायरस Sars-CoV-2 का जेनेटिक कोड अब वैज्ञानिकों को पता है और अब हमारे पास टीका बनाने के लिए एक पूरा ब्लूप्रिंट तैयार है।
ऐसे बनता है टीका
दरअसल, इंसानी शरीर में ख़ून में व्हाइट ब्लड सेल होते हैं जो उसके रोग प्रतिरोधक तंत्र का हिस्सा होते हैं। बिना शरीर को नुक़सान पहुंचाए टीके के ज़रिए शरीर में बेहद कम मात्रा में वायरस या बैक्टीरिया डाल दिए जाते हैं। जब शरीर का रक्षा तंत्र इस वायरस या बैक्टीरिया को पहचान लेता है तो शरीर इससे लड़ना सीख जाता है।
यह है योजना
यह ट्रायल 45 युवा वॉलंटियर्स के साथ शुरू होगा, जिन्हें एनआईएच और मॉर्डर्ना इंक के संयुक्त प्रयासों से विकसित टीके लगाए जाएंगे। हालांकि प्रत्येक प्रतिभागी को अलग-अलग मात्रा में सुई लगाई जाएगी। इस बात की कोई संभावना नहीं है कि कोई भी प्रतिभागी इससे संक्रमित होगा, क्योंकि इस टीके में वायरस नहीं है। इस परीक्षण का लक्ष्य सिर्फ यह जांचना है कि टीकों को कोई चिंताजनक दुष्प्रभाव न हो और फिर इस आधार पर बड़े पैमाने पर परीक्षण किया जा सके। कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच विश्व भर के दर्जनों शोध संगठन टीका विकसित करने के प्रयासों में जुटे हुए हैं।