बगावत की बू राजस्थान में भी, पर यहां ‘दिल्ली अभी दूर

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जयपुर. एन पी न्यूज 24  – ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस का दामन छोड़ने के बाद अब राजस्थान में भी बगावत के आसार बढ़ने लगे हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट भी बहुत खुश नहीं हैं।  राज्य की राजनीति पर पैनी पकड़ रखने वाले  विश्लेषकों की मानें राजस्थान में कांग्रेस संगठन और सरकार के बीच लंबे समय से बन नहीं रही है। मुख्यमंत्री बनने की मंशा तो सचिन पायलट की है ही। यही कारण है कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच मतभेद की खबरें आती रही हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान हालात में अशोक गहलोत की सरकार को कोई खतरा नहीं है। सियासी विश्लेषकों का कहना है कि अशोक गहलोत राज्य की सियासी नब्ज पर मजबूत पकड़ रखते हैं। वह पहले भी अल्पमत की सरकार चला चुके हैं। 1993 में भैरों सिंह शेखावत ने राजस्थान में पहली बार अल्पमत की सरकार का कार्यकाल पूरा किया था। इसके बाद 2008 में अशोक गहलोत ने 96 विधायक होने के बावजूद पांच साल तक आसानी से सरकार चलाई। उनके नेताओं से व्यक्तिगत रूप से अच्छे संपर्क हैं। वह तीसरी बार राजस्थान के सीएम बने हैं और प्रशासनिक मशीनरी का भी बेहतरीन इस्तेमाल उन्हें आता है। ऐसे में आने वाले वक्त में उनकी सरकार को खतरा नहीं दिख रहा है। ‘राजस्थान में अशोक गहलोत के साथ अभी 70 से 80 विधायक हैं। पायलट के साथ 30 से 40 हो सकते हैं फिर भी सत्ता परिवर्तन के चांस नहीं के बराबर हैं। सिंधिया के उलट पायलट के साथ खुलकर आने वाले कम ही विधायक हैं। गहलोत ही हैं जो अगले कुछ साल कांग्रेस की सरकार खींच सकते हैं। अपने सियासी कौशल की बदौलत गहलोत ने 6 बीएसपी विधायक कांग्रेस में शामिल कराए थे। वहीं 11 निर्दलीय एमएलए भी उनकी सरकार का समर्थन कर रहे हैं। इस तरह कांग्रेस के पास कुल 117 विधायकों का समर्थन है, जो बहुमत से 16 ज्यादा है। बीजेपी के पास 73 एमएलए ही हैं।’

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