भाजपा में ज्योतिरादित्य के प्रवेश के पहले सियासी पारा चढ़ा, लगातार समय में बदलाव से अटकलों का बाजार गर्म

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नई दिल्ली. एन पी न्यूज 24- सिंधिया राजघराने की शुरुआत 1740 के आसपास राणो जी सिंधिया ने की थी। वह मराठा हिंदू योद्धा थे और सबसे पहले मालवा क्षेत्र पर फ़तह कर उन्होंने उज्जैन को अपनी पहली राजधानी बनाया। फिर 1800 तक आते-आते, शाजापुर से होते हुए ग्वालियर सिंधिया परिवार की राजधानी हो गई। इन पूरे क्षेत्रों में बुधवार को अजब सी छटपटाहट है। मुद्दा है ज्योतिरादित्य के भाजपा में शामिल होने का। ताऱीख और समय हो हो रहे बदलावों के कारण तरह-तरह की बातें होने लगी हैं।कांग्रेस से बगावत कर चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया को बुधवार दोपहर 12.30 बजे औपचारिक तौर पर बीजेपी ज्वाइन करने थी। पार्टी की ओर से इसके लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की भी घोषणा की गई थी, पर उसके बाद 12.30 बजे होने वाली इस प्रेस कॉन्फ्रेंस का नया टाइम अब दोपहर 2 बजे का हो गया है।सूत्रों का कहना है कि सिंधिया गुट के कुछ विधायक चाहते हैं कि सिंधिया अपनी अलग पार्टी बनाकर ही भाजपा में जुड़ें। उनके समर्थक विधायक इस इस बात पर अड़े हुए हैं. वहीं बीजेपी की ओर से बताया जा रहा है कि पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा  संसद में है, इसलिए ये देरी हो रही है। वहीं शिवराज सिंह भी अभी दिल्ली नहीं पहुंच पाए हैं, इसलिए ये देरी हो रही है। जितनी मुंह, उतनी बातें।आपको बता दें कि कमलनाथ सरकार के 6 मंत्रियों समेत कुल 22 विधायकों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस्तीफे के तुरंत बाद ही कांग्रेस को अलविदा कह दिया था।मध्य प्रदेश में बहुमत के लिए अब 104 विधायकों की जरूरत है, क्योंकि 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद विधानसभा की सदस्य संख्या 230 से घटकर 206 ही रह गई है। आपको बता दें कि 2 विधायकों की सीटें उनके देहांत के बाद खाली हैं, जहां उपचुनाव होने हैं। सूत्र बता रहे हैं कि इस्तीफा देने वाले सिंधिया समर्थक विधायकों में से 5 से 7 को मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद मंत्री पद दिया जा सकता है और शिवराज सिंह चौहान की एक बार फिर से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में ताजपोशी हो सकती है.

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