कोरोना को लेकर नैना झील में भरा यह संकेत, जानकर खुश हो जाएंगे आप

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नैनीताल. एन पी न्यूज 24  – उत्तराखंड के नैनीताल में स्थित नैना झील में जो भी संकेते मिले हैं, उसे स्थानीय लोगो काफी खुश हैं और देश-दनिया को संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि कोरोना जैसे आया है, वैसे चला जाएगा। धैर्य रखें, और खुद को घरों तक सीमित रखें। दरअसल, नैनी झील में एक तीर की आकृति दिखाई दी। इसे देखते ही वहां के लोगों में खुशी का ठिकाना नहीं। वह इसे अच्छा संकेत मान रहे हैं। यह तीर मानों मुश्किल की इस घड़ी में उम्मीद की राह दिखा रही है। स्थानीय लोगों का मानना है कि जिस तरह से आंधी की तरह कोरोना आया है, तीर का संकेत है कि अब वह धीरे-धीरे इसी तीरे के बताए रास्ते से देश के बाहर निकल जाएगा और आगे फिर दुनिया से भी इसका कहर समाप्त हो जाएगा। यह भी कहा है कि लोगों का कि अपनी जड़ों से दूर मत जाओ, नहीं तो संकट बड़ा गहरा है।

बता दें कि मां नंदा को उत्तरखंड वासी विजयदायिनी युद्ध की देवी के रूप में स्वीकारते हैं, जो समस्त मानव जीवन का कल्याण करने वाली हैं।   नैना देवी के इस मंदिर की मान्यता है कि यदि कोई भक्त आंखों की समस्या से परेशान हैं तो अगर वह नैना मां के दर्शन कर ले तो जल्द ही ठीक हो जाएगा। इसके अलावा यहां तमाम भक्त मां के दर्शन के लिए आते हैं। 1880 में नैनीताल में भयानक भूस्खलन आया था। इस आपदा में नैना देवी मां का मंदिर नष्ट हो गया था। इस हादसे के बाद मंदिर को फिर से बनवाया गया है। इस मंदिर के अंदर नैना देवी मां की दो नेत्र बने हुए हैं। इन नेत्र के दर्शन मात्र से मां का आशीर्वाद मिलता हैं। मंदिर के अंदर नैना देवी के संग भगवान गणेश जी और मां काली की भी मूर्तियां हैं। मंदिर के प्रवेशद्वार पर पीपल का एक बड़ा और घना पेड़ है। यहां माता पार्वती को नंदा देवी कहा जाता है।

इस झील का यह महत्व है : स्कंद पुराण में इसे त्रिऋषि सरोवर भी कहा गया है। नैनी झील कैसे बनी इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं हैं, लेकिन यहां के लोगों की मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि जब अत्री, पुलस्त्य और पुलह ऋषि को नैनीताल में कहीं पानी नहीं मिला तो उन्होंने एक गड्ढा खोदा और मानसरोवर झील से पानी लाकर उसमें भरा। इस झील में बारे में कहा जाता है यहाँ डुबकी लगाने से उतना ही पुण्य मिलता है जितना मानसरोवर नदी में नहाने से मिलता है। यह झील 64 शक्ति पीठों में से एक है।

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