कोरोना को लेकर आखिर सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश को कहना पड़ा-
घोर कलियुग की मानसिकता छोड़ें, लड़ाई में सभी को साथ जोड़ें
नई दिल्ली. एन पी न्यूज 24 – कोरोना का पहला केस चीन के वुहान शहर में मिला था। इस वायरस से चीन में अब तक 3,237 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं, विश्व भर में करीब दो लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं और करीब 7,900 लोगों की मौत हो चुकी है। चीन के बाद इटली और ईरान में कोरोना का सबसे ज्यादा प्रकोप फैला है। भारत में कोरोना से अब तक 3 लोगों की जान भी जा चुकी है, जबकि 13 लोग संक्रमण मुक्त हो चुके हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा ने कोरोना वायरस पर दिलचस्प कमेंट किया है। जस्टिस मिश्रा ने कहा, ‘घोर कलयुग में हम कोरोना वायरस से नहीं लड़ सकते. 100 साल में एक बार ऐसी महामारी आती है’। अब इसे समझना आवश्यक है कि उन्होंने आज की स्थिति को घोर कलियुग क्यों कहा है। घोर कलियुग का मतलब सर्वत्र अराजकता। सब अपने ही धुन में है, जबकि इसके खिलाफ लामबंद होने की घड़ी है। जस्टिस अरुण मिश्रा का यह कहना कि ‘कोरोना वायरस को लेकर सिर्फ सरकार के भरोसे नहीं रहा जा सकता, सबको कोशिश करनी होगी, बिल्कुल जायज है। कोरोना को मिलकर ही हराया जा सकता है।
आज पूरा विश्व समुदाय इस समय कोरोना वायरस की चपेट में है और हमारा देश भारत भी इससे अछूता नहीं है। ऐसे में हमें इसे इतने हल्के में नहीं लेना चाहिए। यह समय हमें एक बड़े संकट की ओर इशारा कर रहा है और इससे हमें सावधान रहने की जरुरत है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस से उत्पन्न बीमारी को महामारी घोषित कर दिया है। चाइना इसके कारण तबाह हो गया है और अमेरिका जैसा शक्तिशाली राष्ट्र भी कोरोना वायरस के कारण अपने देश में आपातकाल लगा दिया है, तो हमें किसी आपातकाल का इंतजार नहीं करना चाहिए। सभी देशवासियों को इस समय देश के साथ खड़ा होकर कोरोना के खिलाफ चलाई जा रही मुहिम में साथ देना चाहिए। इसके लिए किसी आंदोलन की आवश्यकता नहीं है, बस हमें लोगों को जागरूक और सावधान करना है और स्वयं सावधान रहना है। परिवार को सावधान करना है, अपने आस-पास ,पड़ोस और गांव को सावधान करना है। सोशल मीडिया के माध्यम से जिस प्रकार की गलतफहमियां फैलाई जा रही है, उसका समाधान करना है और सीधी सच्ची जानकारी लोगों को बताना है। इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। यह न कोई दवा से ठीक होता है और न ही कोई दुआ से। केवल इसके लिए हमें लोगों को सावधान करना है। अभी तो यह शहरी इलाकों को ही अपनी चपेट में ले रहा है। यदि हम जागरूक नहीं हुए तो इसे गांव में जाने से कोई नहीं रोक सकता। तब परिस्थितियां और भयावह हो जाएगी। हमें सारा कुछ शासन और सरकार पर ही निर्भर नहीं रहना चाहिए। इसके लिए हमें स्वयं आगे आना पड़ेगा। यदि हम सब जागरूक रहे तो निश्चित है करोना को हम सब मिलकर हरा पाएंगे। साथ ही भ्रांतियों से बचें व लोगो को बचाऐं। न डरें न डराएं। जागरूक बने और कोरोना को हराऐं।
भारतीय सनातन का उद्घोषणा है:-
सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया।
सर्वाणि भद्राणि पश्यंतु मां कश्चित् दुख भाग भवेत् ।।
तो आइये, कोरोना को हराने का शपथ लें। स्वयं बचें, दूसरों को बचाएं।