कोरोना से बचने के लिए ऐसे खोजे जा रहे उपाय, पेड़-पौधों के जीवन चक्र से बचाव की तलाश शुरु

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नई दिल्ली : .एन पी न्यूज 24  – पेड़-पौधों का हमारे जीवन कितना महत्व है ये किसी से छिपा नहीं है। यह हमें ऑक्सीजन के साथ-साथ मौसम परिवर्तन कर खाद्य पूर्ति भी कराते है। अब कोरोना वायरस का भय अब वैज्ञानिकों को पेड़ पौधों की जीवन शैली पर नये सिरे से विचार करने को प्रेरित कर रहा है। ऐसा सिर्फ इसलिए किया जा रहा है ताकि पेड़ पौधों के जीवन चक्र में सांकेतिक संदेशों को समझने और पकड़ने की विधि को देखकर इंसान भी अपने ऊपर मंडराते खतरों से बचाव कर सके। दरअसल जैविक हमला होने की स्थिति में पौधे अपनी आतंरिक संरचना से ही ऐसे रसायन पैदा कर लेते हैं, जो अपने ऊपर होने वाले हमलों को बेकार कर देता है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने पाया है कि विशेष परिस्थिति में ही किसी भी पौधे की प्रोटिन उत्पादन की गुणवत्ता में परिवर्तन आता है। इससे स्पष्ट है कि अपने ऊपर हमला होने की स्थिति में ऐसे पौधे की संदेश प्रसारित करते हैं। पौधे की आंतरिक संरचना में इसी संदेश के माध्यम से प्रोटिन उत्पादन की दिशा और दशा बदल जाती है। इसी बदलाव की वजह से जो नये हारमोन पैदा होते हैं, वे फंगस अथवा कीटों को मारने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। शोध से जुड़े वैज्ञानिक बताते हैं कि जब कोई बीज मिट्टी में डाला जाता है तो वह मिट्टी में मौजूद कीटाणुओं से लड़कर विजयी होता है। इसी जीत के बाद पौधा जमीन के ऊपर
निकलता है। अगर यह जंग बीज हार जाता है तो वह पौधा नहीं बनता। हर किस्म की फसल की पैदावार में इस प्रारंभिक कड़ी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

कोरोना वायरसका भय इसलिए भी अधिक क्योंकि इसके इंसानी शरीर में प्रवेश से लेकर बीमारी को अत्यधिक बढ़ा देने के बीच शरीर अपने स्तर पर कोई प्रतिक्रिया अथवा बचाव की तकनीक नहीं अपना पा रहा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक,  मिट्टी के अंदर होने वाले हमलों से जीत हासिल करने के लिए बीज में मौजूद कई गुण एक दूसरे की मदद करते हैं। उसमें मौजूद अनेक जीन एक दूसरे के साथ संपर्क स्थापित कर उसे बीज से पौधा बनाने में मदद करते हैं। इस प्रक्रिया को बेहतर तरीके से समझ लेने के बाद कोरोना वायरस का भय भी नियंत्रित होने की श्रेणी में लाया जा सकेगा। इससे हमला होने के दौरान ही शरीर के आंतरिक अंगों को इस हमले की जानकारी मिलते ही विषाणु को मारने वाले रसायनों का तैयार होने और उनका काम करना प्रारंभ किया जा सकेगा।

इसके लिए नये सिरे से जेनेटिक विज्ञान की अनसुलझी गुत्थियों को तेजी से सुलझाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। पौधों की यह जीवन प्रक्रिया कमोबेशी इंसानी अथवा किसी अन्य गर्भस्थ शिशु के विकास जैसी ही है। मिट्टी के अंदर अंधेरे में ही बीज से पौधा बनता है ठीक उसी तरह गर्भ के अंधेरे में शिशु का विकास होता है। पौधों के हारमोन प्रक्रिया और उससे तैयार होने वाले कीटनाशक एसिडों के बनने को विस्तार से समझना चाहते हैं। कोरोना वायरस के भय से पीड़ित दुनिया को इससे चुनौती से राहत दिलाने में जुटे वैज्ञानिक इस प्रक्रिया को भी बारिकी से समझ रहे हैं। इसपर आधारित जेनेटिक इंजीनियरिंग की तकनीक का विकास होने की स्थिति में कोरोना वायरस का भय अपने आप ही कम किया जा सकेगा।

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