खतरनाक विषाणुओं वाले चमगादड़ का वायरस  कोरोना ऐसे घोंट देता दम… 

श्वसन तंत्र के कोशिकाओं पर सीधा हमला करने का तरीका अपनाता है  

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नई दिल्ली.एन पी न्यूज 24 –महामारी घोषित कोरोना का फिलहाल कोई मुकम्मल इलाज नहीं खोजा जा सका है, लेकिन विश्वव्यापी प्रयास हो रहे हैं। सबसे पहले जीरो पेशेंट और कोरोना वायरस की उत्पति के बारे में वैज्ञानिक जानकारी लेने की कोशिशों में लगे हैं। इससे इससे लड़ना आसान हो जाएगा। 23 जनवरी को वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के कोरोना वायरस के विशेषज्ञ शी झेंग ली ने पाया कि कोविड-19 की जीनोम सीक्वेंसिंग (आनुवंशिक अनुक्रम) चमगादड़ों में पाए जाने वाले वायरस (विषाणु) से 96.2 फीसद मिलती जुलती है और पिछले दिनों सार्स (सीवियर एक्यूट रिस्पेरेटरी सिंड्रोम) फैलाने वाले कोरोना वायरस से 79.5 फीसद मिलता है। माना जाता है कि इस वायरस की उत्पत्ति चमगादड़ से हुई है, क्योंकि इसमें भी ऐसा ही प्रोटीन पाया जाता है। एक और रिपोर्ट के मुताबिक इसकी उत्पति सांपों के जरिए हुई। चीन में सांप खाया जाता है। बहरहाल, मंथन जारी है।
प्रथम शोध में वैज्ञानिकों ने पाया है कि कोरोनावायरस मानव शरीर में घुसकर कोशिकाओं को प्रभावित करता है, जिससे कोशिकाओं के आरएनए में परिवर्तन होता है। इसके अलावा संक्रमित मरीज को सांस लेने में भी परेशानी होती है। संक्रमण का स्तर बढ़ने पर मरीज की दम घुटने से मौत हो जाती है। कोरोनावायरस नाक, मुंह या आंखों के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। इसके बाद ये वायरस श्वसन तंत्र के कोशिकाओं पर हमला कर एसीई 2 नाम के एक प्रोटीन का उत्पादन करता है।  एक बार जब मानव शरीर के कोशिका में कोरोनावायरस घुस जाता है, तब यह उसके केंद्रक से एक अनुवांशिक तत्व को अलग करता है। इसे आरएनए नाम दिया गया है। आरएनए विभिन्न प्रकार के प्रोटीनों को जोड़ने का भी कार्य करता है। यह कोशिका के कोशिका द्रव्य में पाया जाता है, लेकिन उसकी नाभिक के अंदर बहुत कम पाया जाता है।  इससे पहले इस वायरस फैमिली के इस सदस्य से इंसानों का सामना नहीं हुआ था।
इंसान से इंसान में संक्रमण फैलने का प्रमाण नहीं
भारत सरकार के राष्ट्रीय वेक्टरजनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के सलाहकार डा. ए सी धारीवाल ने कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर स्थिति स्पष्ट की है. डॉ. धारीवाल के मुताबिक, यह वायरस इंसान से इंसानों के शरीर में प्रवेश करता है, इससे संबंधित फिलहाल कोई प्रमाण नहीं है लेकिन वायरस जानवरों से मानव शरीर में प्रवेश करता है, इसकी पुष्टि हो चुकी है. वहीं, इस वायरस के बचाव के लिए सभी जरूरी सावधानियां बरती जानी चाहिए।

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