पुणे : एन पी न्यूज 24 – पूरे देश में प्रसिध्द होनेवाला पुणे का गणेश विसर्जन जुलूस पिछले साल की तुलना में इस साल तीन से चार घंटे पहले ही खत्म हुआ। इस दौरान छुटपुट घटनाएं छोड़ किसी भी प्रकार की बड़ी हिंसक घटना नहीं हुई।
पांरपारिक वाद्य, पांरपारिक वेशभूषा किए हुए युवक, युवतियां, ढोल ताशा पथक, बैंड पथक जुलूस मार्ग पर आकर्षक रंगोलियां, गणेश भक्तों की भीड़ और गणपति बाप्पा मोरया, पुढच्या वर्षी लवकर या की गूंज में हर साल की तरह सब्जी मंडी से सुबह साढ़े दस बजे विसर्जन जुलूस की शुरूआत हुई। परंपरा के अनुसार पहले सम्मान के पांच गणपति कसबा गणपति, तांबड़ी जोगेश्वरी, गुरूजी तालीम, तुलशीबाग, केसरी वाड़ा इन पांच गणपति जुलूस में शामिल हुए। शाम साढ़े छह बजे तक इन पांचों गणपतियों का विसर्जन किया गया। उसके बाद अन्य गणपति मंडल जुलूस में शामिल हुए। श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति शुक्रवार की सुबह 7 बजकर 54 मिनटों पर विसर्जित किया गया। इस साल मनमोहक असंख्य दियों की विद्युतरोशनाई किए हुए विकटविनायक रथ में गणपति विराजमान थे।
पुलिस की कड़ी शर्तों का परिणाम
गुरूवार की सुबह साढ़े दस बजे शुरू हुआ जुलूस दूसरे दिन शुक्रवार की सुबह साढ़े दस बजे खत्म हुआ। पिछले साल की तुलना में इस साल तीन से चार घंटे पहले जुलूस खत्म हुआ। इस साल शहर पुलिस ने गणेश मंडलों के लिए कड़ी शर्ते लागू की थी जिस कारण महज 128 मंडल ही जुलूस में शामिल हुए। रात 12 के बाद पुलिस ने मंडलों के डीजे स्पिकर बंद करवाए। सुबह छह के बाद भी मंडलों को स्पिकर लगाने की मंजूरी नहीं दी। इसलिए कई मंडल जुलूस में शामिल होने के बजाय वापस लौट गए। दूसरी बात कई मंडलों ने सांगली तथा कोल्हापुर के बाढ़ प्रभावितों को आर्थिक मदद की तो कईयों को उम्मीद से कम चंदा मिला। इन वजहों से भी मंडलों की संख्या कम हुई।