नौकरियों में आरक्षण और प्रमोशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के बड़ा फैसला, कहा – आरक्षण देने के लिए राज्य सरकारें बाध्य नहीं
नई दिल्ली : एन पी न्यूज 24 – सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम् फैसले में कहा है कि सरकारी नौकरियों में प्रमोशन के लिए कोटा और आरक्षण कोई मौलिक अधिकार नहीं है. राज्यों को कोटा प्रदान करने के लिए किसी भी तरह से मजबूर नहीं किया जा सकता है.
उत्तराखंड सरकार के लोक निर्माण विभाग में सहायक अभियंता (सिविल ) पदों पर प्रमोशन में अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के लिए आरक्षण पर अपील पर दिए गए एक फैसले में कोर्ट ने कहा कि कोई मौलिक अधिकार नहीं है, जो इस तरह के दावों के लिए अनुमति देता है.
जस्टिस नागेश्वर राव और जस्टिस हेमंत गुप्ता की बेंच ने 7 फरवरी को अपने एक फैसले में कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि राज्य सरकार आरक्षण देने के लिए किसी भी तरह से बाध्य नहीं है. ऐसा कोई मौलिक अधिकार नहीं है. अदालत दवारा राज्य सरकारों को आरक्षण देने के लिए कोई निर्देश जारी नहीं किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने उत्तराखंड दवारा 2012 में दिए गए एक फैसले को पलट दिया है जिसमे राज्यों को खास वर्ग को कोटा प्रदान करने का निदेश दिया गया था.
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि जब ये लेख आरक्षण देने की शक्ति देता है तो उन्हें केवल राज्य की राय में राज्य की सेवाओं में प्रयाप्त रूप से प्रतिनिधित्व नहीं करने किया। कोर्ट ने कहा कि राज्य को सार्वजानिक पदों पर नियुक्ति के लिए आरक्षण देने का निर्देश नहीं दिया जा सकता है. इसी तरह राज्य प्रमोशन के मामले में एससी/एसटी के लिए आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं है.