पुणे। एन पी न्यूज 24 – कोरोना की महामारी का मुकाबला करते वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को सामूहिक संकल्प व एकजुटता को प्रदर्शित करने के लिहाज से रविवार की रात 9 बजे घर की लाइटें बंद कर दिए, मोमबत्ती, टॉर्च, मोबाइल की फ्लैश लाइट जलाने की अपील की थी। इस अपील पर पूरे देश में अमल किया गया, हालांकि यह स्वैच्छिक था न कि अनिवार्य। इसके बावजूद इस पर अमल न करनेवाले पुणे के एक परिवार को दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ रहा है।
पुणे में एक सामाजिक कार्यकर्ता ने आरोप लगाया है कि रविवार को रात नौ बजे घर की लाइट बंद नहीं करने पर उनके पड़ोसी ने उनके और उनके परिवार के साथ कथित दुर्व्यवहार किया एवं उन्हें ‘राष्ट्र-विरोधी’ करार दिया। कोरोना वायरस संकट से निपटने में राष्ट्र के ‘‘सामूहिक संकल्प एवं एकजुटता’’ को प्रदर्शित करने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर कल ‘रविवार रात नौ बजे नौ मिनट तक’ देशवासियों ने अपने घरों की बत्तियां बुझा दीं और दीये, मोमबत्ती तथा मोबाइल फोन की फ्लैशलाइट जलाई थी।
सामाजिक कार्यकर्ता सिद्धार्थ प्रभुणे ने सोमवार को ट्वीट किया कि उनके परिवार ने लाइट इसलिए नहीं बंद की क्योंकि वह अस्वस्थ थे। उनकी पत्नी तृप्ति प्रभुणे ने कहा कि उन लोगों ने पुलिस में इस मामले की शिकायत दर्ज नहीं करायी क्योंकि सुरक्षाकर्मी लॉकडाउन का पालन करवाने में व्यस्त हैं। कार्यकर्ता ने कहा कि वह और उनकी पत्नी रविवार को रात पौने नौ बजे घर की छत पर थे। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘‘ नौ बजे लोग लाइट बंद करने लगे और दीये एवं मोमबत्तियां जलाने लगे। हमारे घर एवं छत पर लाइट जल ही रही थी थी क्योंकि मैं स्वस्थ नहीं था।
उन्होंने यह भी लिखा है कि सामने की बिल्डिंग में रह रहा एक बिल्डर लाइट बंद करने के लिए चिल्लाने लगा। उन्होंने कहा, लेकिन हम शांत रहे। तब वह नीचे आया और लोगों को इकट्ठा कर हमारे ऊपर चिल्लाने लगा। बिल्डर ने उनके परिवार को ‘राष्ट्रविरोधी’ कहा तथा उन्हें तीन महीने के लिए जेल भेजने की धमकी भी दी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की अपील स्वैच्छिक थी और इस तरह धौंस जमाना गलत है।
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