नई दिल्ली : एन पी न्यूज 24 – कोरोना वायरस से पूरी दुनिया में हाहाकार मचा हुआ है। हर दिन हजारों लोगों की मौतें हो रही है। इस महामारी से पूरी दुनिया परेशान है। हर कोई इस खतरे से बचना चाहता है। इसको लेकर वैज्ञानिक भी तरह-तरह के खोज कर रहे हैं। ताकि इस महामारी से बचने के उपाय ढूंढा जा सकते। वैज्ञानिकों के लिए अब तक यह रहस्मय बना हुआ है कि कोरोना की उत्पति कहाँ से हुई, किस जानवर से मनुष्य तक पंहुचा ये वायरस। हालांकि इससे लेकर अब तक कई रिसर्च भी हुई और आगे भी चल रहे है।
चमगादड़, पैंगोलिन या किसी और जानवर से फैला कोरोना वायरस?
कुछ शोध में चमगादड़ तो कुछ में पैंगोलिन के शरीर में मिले वायरस के जीनोम से कोरोना के जीनोम में समानता पाई गई है। एक तीसरी संभावना यह जताई जा रही है कि कोरोना दो तरह के वायरसों के मेल से बना तीसरा रूप हो सकता है। इस वायरस को फैलाने को लेकर अमेरिका और चीन एक-दूसरे पर आरोप मढ़ चुके हैं। शुरुआत में कोरोना वायरस के चमगादड़ से इंसानों में आने की बात कही जा रही थी। अभी हाल ही में प्रतिष्ठित मेडिकल रिसर्च जर्नल नेचर में प्रकाशित शोध में शोधकर्ताओं ने यह दावा किया था कि चीन में तस्करी कर लाए गए जानवर पैंगोलिन में कोरोना से मेल खाते वायरस मिले हैं। बता दें कि स्तनपाई जीव पैंगोलिन की चीन में मांस और पारंपरिक दवाओं में इस्तेमाल को लेकर सबसे ज्यादा अवैध तस्करी होती है। कुछ वैज्ञानिकों का ऐसा मानना भी है कि चमगादड़ कोरोना वायरस के मूल स्रोत हो सकते हैं और किसी अन्य जीव के माध्यम से यह वायरस इंसानों तक पहुंचा।
कोरोना कोई जिंदा जीव नहीं है, बल्कि एक प्रोटीन मॉलीक्यूल है ?
जॉन होपकिंस यूनिवर्सिटी में हुई एक रिसर्च में बताया गया है कि यह वायरस कोई जिंदा जीव नहीं है, बल्कि एक प्रोटीन मॉलीक्यूल (डीएनए) है। एक रिपोर्ट के मुताबिक यह वायरस फैट या वसा की परत से घिरा होता है, जो कि आंख, नाक या बुक्कल म्यूकोसा (एक तरह का मुख कैंसर) की सेल्स द्वारा अवशोषित होने के बाद इनके जेनेटिक कोड को बदल देता है। यह इन्हें आक्रामक और मल्टीप्लायर सेल्स में तब्दील कर देता है। प्रोटीन मॉलीक्यूल होने के कारण यह मरता नहीं है, बल्कि क्षय हो जाता है।
कोरोना के बारे में भी यह संभावना जताई जा रही है कि दो अलग-अलग वायरसों ने एक बार में किसी एक जीव को इंफेक्ट किया हो और फिर दोनों वायरसों के मिलने से तीसरे वायरस यानी कायमेरा बना हो। चमगादड़ों में पाया जाने वाले कोरोना वायरस का जीनोम नए कोरोना वायरस से 96 फीसदी मेल खाते हैं, जबकि पैंगोलिन में पाए जाने वाले जीनोम 99 फीसदी मेल खाते हैं।
नया कोराना वायरस एक क्रमिक विकास का नतीजा है। वैज्ञानिकों के अनुसार, जब संक्रमित जानवर इंसान के संपर्क में आया तो उसमें यह बीमारी फैल गई। चीन के वाइल्ड लाइफ और मांस मार्केट के कामगारों में सबसे पहले इस बीमारी के फैलने की कड़ी को इससे जोड़ कर देखा जा रहा है। एक वैज्ञानिक के मुताबिक, कोरोना संक्रमित मरीज के शरीर में जब इस नए वायरस को और ज्यादा बेहतर तरीके से समझ पाएंगे, तभी चीन में चमगादड़ों या पैंगोलिन से इसके फैलने को लेकर स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।
विशेषज्ञों का ये भी मानना है कि सार्स कोरोना वायरस-2, चमगादड़ और पैंगोलिन दोनों में पाए जानेवाले वायरस से मिलकर तैयार हुआ एक तीसरा वायरस हो सकता है।
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