एयर इंडिया का कोई खरीददार नहीं मिला तो आवेदन की तिथि बढ़ाकर 30 अप्रैल कर दी

संबंध पुराना है…अगर टाटा समूह एयर इंडिया का अधिग्रहण करता है तो उसके साथ एक 'लॉयल्टी फ़ैक्टर' भी जुड़ा होगा और वो पूरी कोशिश करेगा कि एयर इंडिया को उसके पुराने बेहतर रूप में वापस ला सके।

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नई दिल्ली. एन पी न्यूज 24 – केंद्र सरकार इस साल एयर इंडिया का विनिवेश का फैसला कर चुकी है। भारत समेत दुनिया के सभी इच्छुक कंपनियों को एयर इंडिया खरीदने के लिए आवेदन मंगाए गए हैं। एयर इंडिया के पास फिलहाल 22,000 करोड़ रुपये की भारी भरकम कर्ज है। केंद्र सरकार ने 2018 में पहली बार एयर इंडिया के 76 प्रतिशत स्टेक बेचने का फैसला किया था. लेकिन इस बार सरकार ने एयर इंडिया के पूरे 100 फीसदी स्टेक बेचने के लिए आवेदन मंगाए हैं, लेकिन अभी तक कोई खरीदार नहीं मिल पाया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुए मंत्री समूह की बैठक में सरकार ने बोली की समय सीमा 30 अप्रैल तक बढ़ाने का फैसला किया है। बताते चलें कि जनवरी के आखिरी हफ्ते में 17 मार्च तक की समय सीमा तय की गई थी. एयर इंडिया को खरीदने के लिए पिछले दिनों में कई बड़े नाम सामने आ चुके हैं, इनमें अदानी ग्रुप विस्तारा एयरलाइंस और टाटा ग्रुप का नाम शामिल है।
गौरतलब है कि जाने-माने उद्योगपति जेआरडी टाटा ने भारत की आज़ादी से पहले ही 1932 में टाटा एयरलाइंस की स्थापना की थी। ब्रितानी शाही ‘रॉयल एयर फोर्स’ के पायलट होमी भरूचा टाटा एयरलाइंस के पहले पायलट थे, जबकि जेआरडी टाटा और विंसेंट दूसरे और तीसरे पायलट थे। दूसरे विश्व युद्ध के बाद जब उड़ान सेवाओं को बहाल किया गया तब 29 जुलाई 1946 को टाटा एयरलाइंस ‘पब्लिक लिमिटेड’ कंपनी बन गयी और उसका नाम बदलकर ‘एयर इंडिया लिमिटेड’ रखा गया। आज़ादी के बाद यानी 1947 में टाटा एयरलाइंस की 49 फ़ीसदी भागीदारी सरकार ने ले ली थी। 1953 में इसका राष्ट्रीयकरण हो गया था। जानकारों का कहना है कि अगर टाटा समूह एयर इंडिया का अधिग्रहण करता है तो उसके साथ एक ‘लॉयल्टी फ़ैक्टर’ भी जुड़ा होगा और वो पूरी कोशिश करेगा कि एयर इंडिया को उसके पुराने बेहतर रूप में वापस ला सके।

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