फडणवीस सरकार के मेट्रो भवन और टेंडर घोटाला कियाः सचिन सावंत

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मुंबई : एन पी न्यूज 24 – पिछले वर्ष 26 अगस्त और 29 अगस्त को कांग्रेस द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस करके डॉक्यूमेंट्स के साथ फडणवीस सरकार के पुरस्कृत टेंडर मैनेजमेंट रैकेट का पर्दाफाश करते हुए प्रधानमंत्री आवास योजना के सिडको के 14 हजार करोड़ रुपए के टेंडर और आरे कॉलोनी के मेट्रो भवन के टेंडर घोटाले को सामने लाया था. पार्टी की ओर से इससे पहले शिव स्मारक टेंडर प्रक्रिया में भी फडणवीस सरकार द्वारा घोटाला करने का आरोप लगाया गया था. इस पर कैग द्वारा की गई जांच में मुहर लगी थी. इसी तरह से कांग्रेस ने मेट्रो भवन टेंडर प्रक्रिया में घोटाला होने की कैग को की गई शिकायत को कैग ने सही पाया है. ऐसे में साफ है कि फडणवीस सरकार के टेंडर मैनेजमेंट रैकेट का पर्दाफाश हो गया है. यह दावा महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव व प्रवक्ता सचिन सावंत ने किया है. इस संबंध में उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके जानकारियां दी.

उन्होंने कहा कि फडणवीस सरकार के कार्यकाल में नियमों को ताक पर रखकर राज्य में बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स टेंडर तैयार किये जा रहे थे और पसंद के कॉन्ट्रैक्टर को काम सौंपा जाता था. नवी मुंबई में प्रधानमंत्री आवास योजना के 14 हजार करोड़ के टेंडर के भ्रष्टाचार व मेट्रो भवन का कॉन्ट्रैक्ट का आपस में संबंध था, जिसे हमने सामने लाया. सिडको में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत नवी मुंबई में 89 हजार 771 घर बनाना प्रस्तावित था. 14 हजार करोड़ रुपए को चार भागों में बांटे गए इस प्रस्ताव में जिन्हें कॉन्ट्रैक्ट मिला था ऐसे चार लोगों को ही कॉन्ट्रैक्ट मिले उसी हिसाब से टेंडर की नियम-शर्तें बनाई गई थी. कांग्रेस की तरफ से इस टेंडर प्रक्रिया को लेकर जानकारी जुटाने पर पता चला कि झूठी स्पर्धा दिखाने के लिए नागार्जूना कंस्ट्रक्शन कंपनी (एनसीसी) नामक पांचवें कॉन्ट्रक्टर को टेंडर भरने के लिए कहा गया. लेकिन कंपनी द्वारा भरे गए टेंडर को खारिज करके उसके द्वारा की गई मदद के बदले मेट्रो भवन का कॉन्ट्रैक्ट इसी नागार्जूना कंपनी को दी गई. इस तरह का आरोप कांग्रेस की तरफ से 26 अगस्त 2019 को लगाया गया था. इस संदर्भ में प्रधानमंत्री कार्यालय और प्रिंसिपल एकाउंटेंट जनरल के पास अधिकृत रूप से 6 सितंबर 2019 को शिकायत की गई थी.

मेट्रो भवन में मूल टेंडर से पहले एक अन्य कॉन्ट्रैक्टर को यह काम देने की तैयारी की गई थी. लेकिन प्रधानमंत्री आवास योजना में नागार्जूना कंपनी द्वारा किए गए मदद के बदले इस कंपनी को मेट्रो भवन का कॉन्ट्रैक्ट देने के लिए मूल टेंडर को लेकर भूल सुधाकर नोटिस निकालकर 13 बदलाव किए गए. इसके बाद के दिनों में भूल सुधार नोटिस क्रमांक 6, 8 और 10 में फिर से बदलाव किए गए. कांग्रेस ने इस पर सवाल खड़ा किया जिसका संज्ञान कैग ने लिया. इस संदर्भ में किए गए जांच में कैग को तथ्य मिले हैं. एमएमआरडीए द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण को पूरी तरह से नकार दिया गया है. यह प्रोजेक्ट कांग्रेस के दावे के अनुसार नागार्जूना कंपनी को मिली है. शिव स्मारक घोटाले की तरह एमएमआरडीए ने नागार्जूना कंपनी से सांठगांठ किया और कंपनी द्वारा भरे गए 1162.74 करोड़ रुपए की रकम के टेंडर में पहली बार 73 करोड़ रुपए कम किए गए. इसके बाद प्रोजेक्ट का प्लान बदलकर कई मंजिल कम करके ब्यौरे में बदलाव किए गए व अब तक 117 करोड़ रुपए कम किए जाने की जानकारी सामने रखी गई है. यह केंद्रीय दक्षता आयोग के नियमों का उल्लंघन है. पहले नागार्जूना कंपनी को टेंडर मिले इसलिए प्रस्तावित प्लान में बदलाव करके मंजिल बढ़ाई गई और उसके बाद कॉन्ट्रैक्ट मिलने के बाद सांठगांठ करके मंजिल कम कर दी गई.

कांग्रेस का कहना है कि ये तमाम सवाल कैग ने अपनी रिपोर्ट में उठाए है. जिससे साबित हो रहा है कि टेंडर प्रक्रिया में भ्रष्टाचार हुआ है. प्रधानमंत्री आवास योजना व मेट्रो भवन दोनों प्रोजेक्ट के टेंडर में फडणवीस सरकार ने भ्रष्टाचार किया है. कांग्रेस की तरफ से दोनों काम पर स्टे लगाकर जांच की मांग की गई है. अधिकारियों पर डाले गए दवाब व सांठगांठ से तत्कालीन मुख्यमंत्री कार्यालय से बड़ा भ्रष्टाचार किया गया. मामले की जांच से बड़े-बड़े नाम सामने आ सकते हैं.

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