72 साल की हथिनी अंबिका को दे दी गई दर्द से हमेशा के लिए मुक्ति

-भारत की तरफ से अमेरिका को मिली थी भेंट, दर्द से थी परेशान

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-चिकित्सकों ने हमेशा के लिए दर्द से मुक्ति देने का फैसला लिया
 वाशिंगटन, एन पी न्यूज 24 – भारत के बच्चों की ओर से 1961 में अमेरिका को उपहार स्वरूप दी गई 72 वर्षीय हथिनी अंबिका को स्मिथसोनियन नेशनल जू में मौत की नींद सुला दिया गया। इसके साथ ही एक अध्याय का समापन हो गया। भारत के बच्चों की ओर से 1961 में अमेरिका को वह उपहार स्वरूप दी गई थी। वह हड्डियों के रोग से बहुत अधिक परेशान थी और ठीक होने की कोई उम्मीद नहीं बचने पर राष्ट्रीय चिड़ियाघर में पशु चिकित्सकों ने उसे हमेशा हमेशा के लिए इस दर्द से मुक्ति देने का फैसला लिया। अंबिका का हड्डियों के रोग का इलाज चल रहा था, जिसका पता सबसे पहले तब चला था जब वह 60 वर्ष की उम्र की थी। उसका दाहिना पैर मुड़ गया था और उससे वह खड़ी नहीं हो पा रही थी। चिड़ियाघर ने एक बयान में कहा कि उसके एशियाई हाथियों के झुंड की सबसे प्रिय उम्रदराज सदस्य अंबिकाको शुक्रवार को उचित तरीके से मृत्यु दी गई। हाल ही में उसकी तबीयत बिगड़ गई थी और उसमें कोई सुधार नहीं हो रहा था। अंबिका का जन्म भारत में 1948 के आसपास हुआ था। उसे कुर्ग के जंगल से पकड़ा गया था, जब वह महज आठ वर्ष की थी। वर्ष 1961 तक उसका इस्तेमाल सामान लाने-ले जाने के लिए किया जाता रहा और उसके बाद भारत के बच्चों की ओर से उसे उपहार के तौर पर अमेरिका को दे दिया गया। स्मिथसोनियंस नेशनल जू और कंजर्वेशन बायोलॉजी इंस्टीट्यूट के स्टीवन मोनफोर्ट ने बताया, ‘हमारे संरक्षण समुदाय में अंबिका वास्तव में बेहद विशालकाय थी।

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