नई दिल्ली. एन पी न्यूज 24 – कोरोना की डरावनी खबरों के बीच ओड़िशा के समुद्र तट पर अजीबोगरीब दृश्य देखने को मिला। कोई इसे गुड इफेक्ट कह रहा, तो कोई मंथन में लगा है कि आखिर इसका रहस्य क्या है। दरअसल, ओड़िशा के तट पर इस बार सात लाख नब्बे हजार ओलिव रिडले कछुए पहुंचे हैं। इन कछुओं ने गहिरमाथा और रूसीकुल्य में छह करोड़ से ज्यादा अंडे दिए हैं। बता दें कि कछुओं द्वारा खोदे गए प्रत्येक घोंसले में औसतन 100 अंडे होते हैं। इनके पूर्ण होने की अवधि लगभग 45 दिन है।वन विभाग ने यह भी दावा किया कि इस वर्ष कछुओं की संख्या सबसे अधिक थी, “पिछले सालों की तुलना में कछुओं के लिए ये एक अच्छा साल है।
वन विभाग ने अनुमान लगाया है कि रुशिकुल्या समुद्र तट पर इस साल कम से कम 4.75 लाख कछुए घोंसले में आए। जानकारों का मानना है कि कोरोना वायरस के चलते इस बार मछुआरों और टूरिस्टों की गतिविधि ठप पड़ी है। इसलिए ही इतनी बड़ी संख्या में इस बार कछुए पहुंच सके हैं। बेरहमपुर डिवीजनल फॉरेस्ट ऑफिसर की मानें तो 22 मार्च को लगभग 2 बजे, 2,000 महिला ओलिव रिडलिस समुद्र से समुद्र तट से बाहर निकलने लगीं। उनकी ये गतिविधियां पिछले पांच दिनों के दौरान की हैं।
जंगलकथा विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर इंसानों की गतिविधियां सीमित नहीं होती तो इनमें से बहुत सारे रास्ते में ही मारे जाते या फिर अन्य बाधाओं के चलते पहुंच ही नहीं पाते। ऐसा माना जाता है कि मादा कछुए उसी समुद्र तट पर वापस लौटती हैं जहां उन्होंने अंडे दिए थे. इस लिहाज से ओडिशा का तट उनके लिए सबसे बड़ा सामूहिक घोंसला बनाने वाली जगह है। रिपोर्ट के अनुसार मानव घुसपैठ और तट पर कचरे के ढेर ने उन्हें 2019 में घोंसले से दूर रखा था।