सत्तादल भाजपा का सभागृह पर नहीं रहा नियंत्रण

सत्ताधारियों की आपसी मतभिन्नता के चलते राष्ट्रवादी हुई हावी

0
पिंपरी : एन पी न्यूज 24 – अक्सर बहुमत का जोर दिखाने वाले सत्तादल भाजपा का पिंपरी चिंचवड मनपा के सभागृह पर नियंत्रण नहीं रहा है। अपने नगरसेवकों में निर्माण मतभिन्नता, सभागृह नेता एकनाथ पवार की गैरहाजिरी, पक्षादेश की खुलेआम उलाहना, एकवाक्यता का अभाव जैसी खामियों का विपक्षी दल राष्ट्रवादी कांग्रेस ने पूरा फायदा उठाया है। मनपा की आम सभा में राष्ट्रवादी सत्तादल पर हावी नजर आयी। नतीजन पक्षादेश (व्हीप) में मंजूर किये जाने वाले प्रस्ताव स्थगित रखने की नौबत सत्तादल पर आई।
महापौर उषा ढोरे की अध्यक्षता में उनके कार्यकाल को दूसरी आम सभा भी सभाशास्त्र व पक्षादेश का उल्लंघन और हंगामे के बीच संपन्न हुई। 20 मिनट देरी से शुरू हुए सभा के कामकाज में मनपा आयुक्त श्रावण हार्डिकर ने वन के (तत्कालिक) के तहत तीन प्रस्ताव पेश किए। इसमें प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों का स्वहिस्सा तय करने, जलशुद्धिकरण केंद्र की क्षमता बढ़ाने के लिए 50 करोड़ रुपए की प्रशासकीय मान्यता के दो प्रस्ताव दाखिल किए गए। जबकि अन्य एक प्रस्ताव पर दुरुस्ती सुझाये जाने से फेर प्रस्ताव पेश होने का इंतजार किया जाने लगा।
सभा कामकाज में लेटलतीफी पर भूतपूर्व महापौर मंगला कदम ने कड़ी आपत्ति जताई। इसके बाद हड़बड़ी में महापौर उषा ढोरे सभागृह में पहुंची, हालांकि इसके चलते और एक तात्कालिक प्रस्ताव दाखिल करने की सत्तादल की कोशिशें विफल बन गई। वन के तहत दाखिल किए जाने वाले प्रस्तावों से सत्तादल के नगरसेवक अनभिज्ञ रहे। सुलह के जरिए निजी जमीनों का अधिग्रहण कर मुआवजा देने के प्रस्ताव पर इस सभा में भी हंगामा हुआ। भाजपा के नगरसेवक सागर अंगोलकर ने प्रस्ताव पेश करने के साथ ही तीन माह के लिए इसे स्थगित रखने की सूचना दी। सभाशास्त्र के अनुसार प्रस्ताव पेश करनेवाला सदस्य ऐसी सूचना नहीं दे सकता, यह आपत्ति राष्ट्रवादी के नगरसेवकों ने जताई। हालांकि इस हंगामे में राष्ट्रवादी ने इस प्रस्ताव को मंजूर करने की मांग की। जबकि इस प्रस्ताव को लेकर आग्रही रही भाजपा इसे स्थगित करने पर आमादा थी।
इस प्रस्ताव को तीन माह तक स्थगित रखने की घोषणा के बाद महापौर ने राष्ट्रवादी के अजित गव्हाणे, डॉ. वैशाली घोडेकर को  मत प्रदर्शन का मौका देकर फिर सभा के नियमों की उलाहना की। कुछ ऐसा ही मनपा के समाज विकास अधिकारी संभाजी ऐवले को सहायक आयुक्त पद का प्रमोशन देकर उन्हें दिव्यांगों की कल्याणकारी योजनाओं की जिम्मेदारी सौंपने के प्रस्ताव के दौरान भी हुआ। सत्तादल के नेता एकनाथ पवार ने इस प्रस्ताव को विधि समिति के जरिये वापस पेश करने का व्हीप जारी किया था। मगर महापौर ने प्रस्ताव मंजूर करने की घोषणा कर दी। जबकि स्थायी समिति सभापति विलास मडिगेरी यह प्रस्ताव ही वापस लेने के पक्ष में थे, ऐसा उन्होंने खुद कहा भी। महापौर द्वारा प्रस्ताव मंजूर करने के बाद उसे वापस नहीं लिया जा सकता, यह कहकर राष्ट्रवादी के सदस्यों ने विरोध जताया। इससे भाजपा की खासी फजीहत हुई। प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों का स्वहिस्सा और ड्रा की प्रक्रिया आदि नीतियां तय करने के प्रस्ताव पर भी भाजपा पदाधिकारियों की मतभिन्नता का लाभ उठाते हुए राष्ट्रवादी के दत्ता साने ने एक माह के लिए प्रस्ताव स्थगित रखने के लिए सत्तादल को बाध्य कर दिया।
visit : npnews24.com
Leave A Reply

Your email address will not be published.