ऑनलाइन टीम – भारत में माहवारी और महिलाओं की सेहत से जुड़े विषयों पर अब भी खुल कर बात नहीं होती। लेकिन, अब धीरे धीरे जागरुकता बढ़ रही है। कई स्तरों पर खुलकर बात करने पर जोर दिया जा रहा है। महिलाओं और किशोरियों को माहवारी के दौरान कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। महिलाओं और किशोरियों को दिक्कतों का सामना न करना पड़े, इसलिए हर वर्ष 28 मई को विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस मनाया जाता है।
28 मई की तारीख निर्धारित करने के पीछे मकसद है कि मई वर्ष का पांचवां महीना होता है। यह अमूमन प्रत्येक 28 दिनों के पश्चात होने वाले स्त्री के पांच दिनों के मासिक चक्र का परिचायक है। माहवारी नौ से 13 वर्ष की लड़कियों के शरीर में होने वाली एक सामान्य हार्मोनल प्रक्रिया है। इसकेे फलस्वरूप शरीर में महत्वपूर्ण परिवर्तन होते हैं। यह प्राकृतिक प्रक्रिया सभी लड़कियों में किशोरावस्था के अंतिम चरण से शुरू होकर उनके संपूर्ण प्रजनन काल तक जारी रहती है। आज भी बहुत सी किशोरियां मासिक धर्म के कारण स्कूल नहीं जाती हैं। महिलाओं को आज भी इस मुद्दे पर बात करने में झिझक होती है। आधे से ज्यादा लोगों को लगता है कि मासिक धर्म अपराध है।
आज के दिन श्वेता पाटिल (इंटरनेशनल मॉडल) ने एक कविता शेयर की है। उन्होंने लिखा है कि –
‘यह भी कोई बात है,
सड़कों पर धर्म, रंजिश, राजनीति के लिए बहे तो सही है,
और महावारी में सृजन के लिए बहे तो पाप है, अभिशाप है
यह भी कोई बात है,
शक्ति भी आप और जननी भी आप हैं,
भगवान हर जगह हो नहीं सकते इसीलिए धरती पर बस आप ही आप हैं।