27 मई को एक और आसमानी नजारा…तेजी से पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है एक और विशाल धूमकेतू

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नई दिल्ली.  एन पी न्यूज 24 – मई के अंत तक, अनुमानत: 27 मई को एक विशाल धुमकेतू पृथ्वी के बेहद नजदीक आ जाएगा। यह सूर्य की तरफ से पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करने जा रहा है। बता दें कि पिछले महीने 29 अप्रैल को विशाल Asteroid के पृथ्वी के टकराने का खतरा टला था। बताया जा रहा है कि इसके चलते आसमान का रंग हरा हो जाएगा, जो कि एक रोमांचकारी अनुभव होगा।

सामान्य तौर पर आए दिन छोटे आकार के धूमकेतू पृथ्वी की कक्षा में घुसकर जलकर खाक हो जाते हैं और यह घटना आसमान में हमें यह किसी तारे के टूटकर गिरने के दृश्य के रूप में नज़र आती है। 27 मई को पृथ्वी के पास आने वाले इस धूमकेतू का आसमान पर असर दिखाई दे सकता है। नासा के आधिकारिक ट्वीटर हैंडल NASA Sun & Space और NASA Asteroid Watch पर दी गई जानकारी के अनुसार यह 27 मई, 2020 को पृथ्वी की सतह के बेहद करीब होगा। इसे धरती से सीधे भी देखा जा सकता है। धूमकेतू का नजर आना अपने आप में दुर्लभ घटना है, क्योंकि ये कई बरसों में एक बार नज़र आते हैं

इस धूमकेतू की खास बातें
-इस स्वॉन धूमकेतू की पूंछ लाखों मील लंबी है, जो अंतरिक्ष प्रेमियों व वैज्ञानिकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
-इसे सीधी आंखों से, बिना टेलिस्कोप की सहायता के भी देखा जा सकता है लेकिन बस इसे इस बीच किसी अन्य धूमकेतू या ऑब्जेक्ट से टकराना नहीं चाहिये।
-इस समय यह धरती से 53 मिलियन यानी 4 अरब 2 करोड़ 77 लाख 3 हजार 200 मील की दूरी पर है। जिस रफ्तार से यह पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है, उसके अनुसार यह 27 मई तक पृथ्वी से टकरा सकता है।
-ब्रिटेन सहित कई यूरोपीय देशों में इसे शाम के समय देखा जा सकेगा। एशियाई देशों में यह ईस्टर्न टाइम जोन के अनुसार अलसुबह नजर आ सकता है।
-अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का कहना है कि यह धूमकेतू 11 हजार वर्ष में एक बार पृथ्वी से टकराता है। हालांकि इससे कोई क्षति नहीं होती, केवल आसमान का रंग बदलकर हरा हो जाता है।
-27 मई को यह साफ देखा जा सकेगा। यदि आपके पास छोटी मोटी दूरबीन या टेलीस्कोप है तो और अच्छा है।
-सूर्य से यह जितना निकट होगा, इसकी चमक उतनी ही अधिक हो जाएगी। इस बात की संभावना भी है कि यह छोटे टुकड़ों में बंट जाए।
-इस धूमकेतू में मुख्य रूप से बर्फ और मिथेन गैस से भरा एक हिस्सा है जो सूर्य के चक्कर लगा रहा है। पृथ्वी के करीब आने का कारण धरती की ग्रेविटी है।

जानें, क्या होते हैं धुमकेतू : धूमकेतु या कॉमेट सौरमण्डलीय में पाए जाने वाले ऐसे तारे होते हैं, जो मूल रूप से पत्थर, धूल, बर्फ और गैस के बने हुए छोटे-छोटे टुकड़े होते है। यह ग्रहों के समान ही सौरमंडल में सूर्य की परिक्रमा करते हैं। छोटे पथ वाले धूमकेतु सूर्य की परिक्रमा एक अण्डाकार पथ में लगभग 6 से 200 साल में एक बार पूरी करते हैं। कुछ धूमकेतु तारों का पथ वलयाकार होता है और वो अपने पूरे जीवनकाल में मात्र एक बार ही दिखाई देते है. लम्बे पथ वाले धूमकेतु अक्सर एक परिक्रमा करने में हजारों वर्ष लगाते हैं। अधिकतर धूमकेतु बर्फ, कार्बन डाईऑक्साइड, मिथेन, अमोनिया तथा अन्य पदार्थ जैसे सिलिकेट और कार्बनिक मिश्रण के बने होते हैं। इन्हें सामान्य भाषा में पुच्छल तारा भी कहा जाता है, क्योंकि इनके पीछे उक्त तत्वों की लंबी पूंछ बनी हुई होती है जो सूर्य के प्रकाश से चमकती रहती है। धूमकेतू का नजर आना अपने आप में दुर्लभ घटना है,क्योंकि ये कई बरसों में एक बार नज़र आते हैं।

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