नई दिल्ली : एन पी न्यूज 24 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का एलान किया था। जिसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश वासियों को विस्तार से जानकारी दी। सीतारमण ने पहले दिन सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) को मजबूती देने के लिए पैकेज को विस्तार से बताया। फिर वित्त मंत्री कल दूसरे चरण में बाकि चीज़ें विस्तार से बताई। इस दौरान वित्त मंत्री ने पीएफ योगदान में तीन महीने के लिए कटौती का ऐलान किया है।
सरकार के इस ऐलान के बाद कर्मचारियों के ईपीएफ में कर्मचारी व नियोक्ता की तरफ से 2-2 फीसदी कम योगदान किया जाएगा। मौजूदा नियमों के मुताबिक, कर्मचारी की बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते की 12 फीसदी राशि कर्मचारी भविष्य निधि में जाती है। इतनी ही राशि नियोक्ता भी जमा करता है। लेकिन, सरकार के इस ऐलान के बाद कुल 24 फीसदी का यह योगदान घटकर 20 फीसदी रह जाएगा। हालांकि, केंद्रीय कर्मचारियों पर यह लागू नहीं होगा।
जानकारों के मुताबिक, सरकार ने यह फैसला मौजूदा संकट के बीच कर्मचारियों को थोड़ी राहत देने के लिए लिया है। इससे उनके प्रति महीने सैलरी में बढ़ोतरी होगी। लेकिन, अगर लंबी अवधि में देखा जाए तो इससे कर्मचारियों को दो तरफा नुकसान झेलना पड़ेगा। पहला तो यह कि टैक्स के दायरे में आने वाले कर्मचारियों की टैक्स एसेसमेंट गणित बिगड़ेगी। दरअसल एक्सपर्ट बताते है कि ईपीएफ पर कम्पाउंडेड ब्याज मिलता है। ऐसे में अगर किसी कर्मचारी की प्रति महीने थोड़ी भी सैलरी बढ़ती है तो इसकी तुलना में उन्हें रिटायरमेंट फंड पर ज्यादा असर पड़ेगा।
एक्सपर्ट ने बताया –
मान लीजिए कि आपकी बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता मिलाकर प्रति माह 50,000 रुपए बनती है तो इस हिसाब से आपकी तरफ से PF योगदान 6,000 रुपए होगा। इतनी ही रकम नियोक्ता की तरफ से भी ईपीएफ में हर महीने जमा की जाती है। कर्मचारी और नियोक्ता की तरफ से कुल योगदान 12,000 रुपए प्रति माह होगी। लेकिन, अब नए ऐलान के बाद यह रकम घटकर 10,000 रुपए हो जाएगी। हालांकि, दूसरी तरफ आपकी इनकम प्रति महीने 1,000 रुपए बढ़ जाएगी, जोकि आपकी बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते की 2 फीसदी होगी। चूंकि, आपके नियोक्ता की तरफ से किए जाने वाले योगदान में भी 2 फीसदी प्रति माह की कटौती होगी, ऐसे में आपकी सीटीसी कम हो जाएगी।
ऐसे में इन तीन महीनों के लिए आपकी बढ़ी हुई सैलरी भी इनकम टैक्स स्लैब के तौर पर ही मानी जाएगी। मान लीजिए कि आपकी प्रति माह सैलरी 1,000 रुपए बढ़ जाती है और आप उच्च टैक्स ब्रैकेट में आते हैं तो टेक होम सैलरी केवल 700 रुपए ही बढ़ेगी। बाकी की रकम टैक्स के तौर पर कट जाएगी। सेक्शन 80C के तहत ईपीएफ योगदान पर टैक्स छूट का लाभ लेते हैं। चूंकि, अब ईपीएफ योगदान कम हो जाएगा, ऐसे में आपको सेक्शन 80C का पूरा लाभ लेने के लिए अन्य इन्वेस्टमेंट विकल्प की तरफ मुड़ना पड़ेगा। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आपको ज्यादा टैक्स देना होगा।
इसके हिसाब से आपके तीन महीने का PF योगदान 18,000 रुपए होगा और अगर आप उच्च टैक्स ब्रैकेट में आते हैं तो 5,400 रुपए का टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं। लेकिन, अब आपका यह योगदान घटकर 15,000 रुपए हो जाएगा और पर इसपर डिडक्शन क्लेम की रकम भी कम हो जाएगी। 15,000 हजार रुपए के PF योगदान के आधार पर आप 4,500 रुपए का टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकेंगे। अब आपको 3,000 रुपए की अतिरिक्त कमाई पर टैक्स बचत करने के लिए दूसरे निवेश विकल्प के बारे में सोचना पड़ेगा।
अगर किसी पीएफ अकाउंट में कर्मचारी और नियोक्ता की तरफ से हर महीने 12,000 रुपए का योगदान जाता है और इस कटौती के बाद कर्मचारी अगर 25 साल बाद रिटायर होता है इससे उनके रिटायरमेंट फंड पर करीब 46,000 रुपए का असर पड़ेगा। उदहारण के लिए 25 सालों के लिए पीएफ पर ब्याज दर 8.55 फीसदी के आधार पर कैलकुलेट किया गया है।