कोरोना संकट में बदले PF के नियम, जानें कंट्रीब्‍यूशन का कैलकुलेशन

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नई दिल्ली –  एन पी न्यूज 24 – किसी-ना-किसी संस्थान में नौकरी कर रहे लोगों के लिए पीएफ फंड बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसमें पैसा तो जमा होता ही है, साथ ही सरकार की ओर से ब्याज भी मिलता है। लेकिन, कोरोना संकट काल में सरकार ने पीएफ को लेकर एक अहम बदलाव किया है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के तहत आने वाले सभी नियोक्ताओं और कर्मचारियों के पीएफ कंट्रीब्‍यूशन को क्रमश: 2-2 फीसदी कम कर दिया गया है।

यानी अब अगले तीन माह तक कर्मचारी अपने मूल वेतन का 12 फीसदी की बजाए सिर्फ 10 फीसदी कंट्रीब्‍यूशन देंगे। इसी तरह, कंपनियों को भी 12 फीसदी की बजाए 10 फीसदी का सहयोग देना होगा। बता दें कि किसी भी कर्मचारी के मूल वेतन का 12 प्रतिशत योगदान कर्मचारी करता है, और इतना ही योगदान कंपनी की ओर से भी किया जाता है। गौरतलब हो कि किसी भी कंपनी या नियोक्‍ता के हिस्से के 12 फीसदी योगदान में से 8.33 फीसदी या 1250 रुपए, जो भी कम हो, का योगदान कर्मचारी पेंशन योजना यानी ईपीएस में होता है। जबकि, शेष 3.67 फीसदी रकम का योगदान कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में होता है। इसके उलट, कर्मचारी के हिस्से का पूरा 12 फीसदी ईपीएफ यानी आपके पीएफ फंड में जाता है।

सरकार का कहना है कि इस फैसले से कर्मचारियों और नियोक्‍ता को कुल 6,750 करोड़ रुपए की नकदी मिलेगी। इस निर्णय से ,ऐसे 4.3 करोड़ कर्मचारियों और 6.5 लाख नियोक्ताओं को लाभ होगा जो कोरोना वायरस महामारी और उसकी रोकथाम के लिये जारी लॉकडाउन के कारण नकदी समस्या से जूझ रहे हैं। मतलब ये कि आप भविष्‍य सिक्‍योर करने के लिए जो रकम पीएफ के तौर पर जमा कर रहे थे, वो अगले तीन महीने तक के लिए कम हो गया है। जाहिर सी बात है कि पीएफ की रकम कम होने पर सरकार की ओर से ब्‍याज के तौर पर मिलने वाला मुनाफा भी कम हो जाएगा।

इसके अलावा, सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत दी गयी राहत को तीन महीने यानी अगस्त तक के लिए और बढ़ाने की घोषणा की है। इसके तहत शामिल कर्मचारियों और कंपनियों के पीएफ का कुल 24 प्रतिशत (12 प्रतिशत कर्मचारियों का और 12 प्रतिशत नियोक्ताओं का) भुगतान सरकार करेगी। इससे 3.67 लाख नियोक्ताओं और 72.22 लाख कर्मचारियों को राहत मिलेगी।

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