पुणे।एन पी न्यूज 24- कोरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण के बीच इस बीमारी की जांच के लिए एंटीबॉडी किट विकसित करने में सफलता मिली है। पुणे में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरालजी (एनआईवी) के वैज्ञानिकों ने कोरोना की जांच के लिए एंटीबॉडी किट बनाई है। इससे 2.5 घंटे में 90 नमूनों की जांच हो सकती है। टेस्ट किट बनाने की इस तकनीक को बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए जाइडस को सौंप दिया गया है।
इस टेस्ट किट का नाम ‘कोविड कवच एलिसा’ होगा। एलिसा का अर्थ है एंजाइम-लिंक्ड इम्युनोसॉरबेंट एसे। जैव नमूनों में एंटीबॉडी, एंटीजन या प्रोटीन और ग्लाइकोप्रोटीन जैसे अन्य यौगिकों को मापने के लिए यह आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली प्रक्रिया है।इस एंटीबॉडी टेस्ट किट बनाने के लिए, वैज्ञानिकों को पहले सार्स- कोवि-2 वायरस को अलग करना पड़ा, जो मरीजों के लिए कोविड-19 का कारण बनता है। वायरस को अलग करने के बाद, वैज्ञानिकों ने कोविड -19 के लिए एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए एलिसा परीक्षण विकसित किया।
इस किट को मुंबई में दो जगहों पर जांचा गया। इस जांच में सैंपल के नतीजे काफी अच्छे रहे हैं। यह रैपिड किट यानी आरटी-पीसीआर कोविड-19 को डायग्नोस करने के लिए प्राथमिक परीक्षण है। मीडिया एजेंसी के मुताबिक स्वास्थ्य मंत्रालय और स्वास्थ्य कल्याण मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है, एलिसा किट का परीक्षण जिला स्तर पर भी आसानी से संभव है, क्योंकि एलिसा किट में निष्क्रिय वायरस होता है। वास्तविक समय आरटी-पीसीआर परीक्षण की तुलना में न्यूनतम जैव सुरक्षा और जैव सुरक्षा आवश्यकताएं भी हैं। यह दूसरे रैपिड टेस्ट किट की तुलना में अधिक प्रभावी है।