नई दिल्ली : एन पी न्यूज 24- कोरोना वायरस महामारी की वजह से एक तरह जहां पूरी दुनिया में लोगों की मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है तो दूसरी तरह नौकरियों पर भी गहरा संकट मंडरा रहा है। संयुक्त राष्ट्र की श्रम इकाई अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन के अनुसार दुनियाभर में 30 करोड़ से ज्यादा लोग अपनी नौकरियों से हाथ धो सकते हैं। संगठन ने पिछले पूर्वानुमान में कहा था कि इस महामारी के कारण जून तिमाही में हर सप्ताह औसतन 48 घंटे की कार्यअवधि वाले 19.5 करोड़ पूर्णकालिक नौकरियों का नुकसान हो सकता है। संगठन ने कहा कि महामारी पर काबू पाने के लिये दुनिया भर में लॉकडाउन के बढ़ाये जाने से उसे अनुमान में संशोधन करना पड़ा है।
संगठन ने कहा कि इस महामारी के कारण अनौपचारिक क्षेत्र के 1.6 अरब कामगारों के समक्ष जीवनयापन का खतरा उत्पन्न हो चुका है क्योंकि महामारी के कारण उनके रोजी-रोटी के साधन बंद हो चुके हैं। यह पूरी दुनिया के 3.3 अरब कार्यबल का करीब आधा है। संगठन ने कोरोना के कारण जाने वाली नौकरियों का पूर्वानुमान एक बार फिर से बढ़ाया है। खत्म हो सकती हैं 30 करोड़ से ज्यादा नौकरियां अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन के अनुसार दुनियाभर में अप्रैल से जून के दौरान सिर्फ तीन महीने में ही करीब 30.5 करोड़ लोगों की पूर्णकालिक नौकरियां खत्म हो सकती हैं।
भारत में बढ़ी बेरोजगारी –
वहीं अगर भारत की बात करें तो देशभर में फैले कोरोना महामारी और उसके चलते लॉकडाउन से बेरोजगारी दर बढ़कर 23.4% पर पहुंच गई है। सीएमआईई की रिपोर्ट के अनुसार, लॉकडाउन से भारत की शहरी बेरोजगारी दर 30.9% तक बढ़ सकती है, हालांकि कुल बेरोजगारी 23.4% तक बढ़ने का अनुमान है। यह रिपोर्ट अर्थव्यवस्था पर कोरोना के बुरे प्रभाव को दर्शाती है।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) का कहना है कि दुनियाभर में बेरोजगारी दर मार्च महीने के मध्य के 8.4 फीसदी से बढ़कर 23 फीसदी हो गई है। वहीं, सीएमआईई के आंकड़ों के अनुसार, शहरी क्षेत्र में 15 मार्च 2020 को 8.21 फीसदी बेरोजगारी दर थी। यह 22 मार्च 2020 को 8.66 फीसदी पर आई। 29 मार्च 2020 को यह 30.01 फीसदी पर जा पहुंची और फिर पांच अप्रैल 2020 के आंकड़ों के अनुसार यह 30.93 फीसद पर आ गई है।