कोरोनाग्रस्तों के लिए वरदान माने जा रहे प्लाज्मा थेरेपी को सरकार ने क्यों कहा ‘अवैध’ और ‘जानलेवा’, इसे जानें
नई दिल्ली. एन पी न्यूज 24- प्लाज़्मा थेरेपी को कोरोनाग्रस्तों के लिए वरदान माना जा रहा है, मगर इसी बीच, केंद्र सरकार ने ये साफ किया है कि इसका इस्तेमाल अवैध है और इससे मरीज़ की जान भी जा सकती है, क्योंकि अभी तक ये साबित नहीं हुआ है कि प्लाज़्मा थेरेपी से कोरोना वायरस का इलाज किया जा सकता है।
तर्क यह है : स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि कोरोना वायरस के जो मरीज़ अब बिल्कुल स्वस्थ हैं, उनके प्लाज़्मा का उपयोग ट्रायल और रिसर्च के लिए किया जा सकता है, लेकिन इलाज के लिए नहीं। इलाज के लिए प्लाज़्मा का उपयोग न सिर्फ अवैध है, बल्कि इससे किसी की जान भी जा सकती है। प्लाज़्मा थेरेपी अभी भी भारत और दुनिया में प्रायोगिक चरणों में है और आईसीएमआर ने अभी तक इस थेरेपी को मरीजों में इस्तेमाल के लिए मंजूरी नहीं दी है। प्लाज़्मा थेरेपी के इस्तेमाल पर अभी शोध जारी है। जब तक ICMR कोविड रोगियों में स्वीकृत उपचार चिकित्सा के रूप में प्लाज़्मा थेरेपी को मंजूरी नहीं देता, तब तक इसका इस्तेमाल इलाज के लिए नहीं किया जा सकता। अमेरिका के FDA ने भी सिर्फ प्रयोगात्मक उद्देश्यों के लिए प्लाज़्मा थेरेपी के इस्तेमाल को मंजूरी दी है और इलाज के लिए नहीं।
क्य है यह थेरेपी : इस थेरेपी में एंटीबॉडी का इस्तेमाल किया जाता है, जो किसी वायरस या बैक्टीरिया के खिलाफ शरीर में बनता है। यह एंटीबॉडी ठीक हो चुके मरीज़ों के शरीर से निकालकर बीमार शरीर में डाल दिया जाता है। मरीज़ पर एंटीबॉडी का असर होने पर वायरस कमज़ोर होने लगता है। इसके बाद मरीज़ के ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है। जो इंसान प्लाज़्मा देता है, उसे इससे कोई साइड इफेक्ट नहीं होता और न ही कोई कमज़ोरी होती है।