नई दिल्ली :एन पी न्यूज 24 – कोरोना वायरस का कहर पूरी दुनिया में फैल रहा है। भारत में भी संक्रमित मरीजों का आंकड़ा बढ़ रहा है। सरकार हो या आम आदमी सभी के चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर आई हैं। चीन से फैले वायरस का खात्मा कब होगा इसकी कोई निश्चित समय सीमा भी नहीं है। इधर संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण प्रमुख इंगर एंडरसन ने कुछ दिन पहले कहा था कि प्रकृति हमें कोरोना वायरस महामारी और जलवायु संकट के जरिये एक संदेश भेज रही है। एंडरसन ने कहा है कि ‘‘एक के बाद एक हानिकारक चीजें करके हम लोग प्रकृति पर बहुत सारे दबाव डाल रहे थे। हमें पहले ही कई बार चेतावनी मिल चुकी है कि अगर हम पृथ्वी और प्रकृति की देखभाल करने में असफल रहे तो इसका अर्थ यही है कि हम अपनी देखभाल नहीं कर पाए।’’
इंगर एंडरसन ने कहा कि प्राकृतिक संसार पर मानवता कई तरह के दबाव डाल रही है। कोरोना वायरस महामारी का नतीजा विध्वंस के रूप में सामने आ रहा है। दुनिया के प्रमुख वैज्ञानिकों ने लोगों को प्रकृति और उसके संसाधनों की तबाही को आग से खेलने जैसा करार दिया है। अगर इंसान अब भी नहीं रुके तो प्रकृति कोरोना से भी भयानक रूप दिखाएगी। वैज्ञानिकों की माने को कोरोना वायरस महामारी के रूप में धरती ने इंसानों को स्पष्ट चेतावनी देते हुए बताया है और प्रकृति के प्रति बरती जाने वाली असावधानियों को लेकर सचेत किया है। उनका मानना है कि वनों और वन्यजीवों के बीच इंसानों की तेजी से बढ़ती दखलंदाजी अगर रुकी नहीं तो भविष्य में कोरोना से भी घातक महामारी के लिए लि इंसानों को तैयार रहना होगा।
एक ही उपाय –
विशेषज्ञों के अनुसार कोविड-19 जैसी महामारी को रोकने के लिए सिर्फ और सिर्फ एक ही उपाय है। एक तो गर्म होती धरती को हमें रोकना होगा। दूसरा खेती, खनन और आवास जैसी तमाम इंसानी जरूरतों को पूरा करने के लिए वनों के अतिक्रमण पर पूरी तरह से रोक लगाए जाने की जरूरत है। ये दोनों ही गतिविधियां वन्यजीवों को इंसानों के संपर्क में आने को विवश करती हैं। तमाम देशों में लगने वाली जंगलों में आग, दिनों दिन गर्मी के टूटते रिकार्ड, टिड्डी दलों के बढ़ते हमले जैसी तमाम घटनाओं से प्रकृति हमें चेता रही है।
उन्होंने कहा कि जिंदा जानवरों की दुनिया भर में सजने वाली मंडियों पर प्रतिबंध लगाए जाने की जरूरत है। इन मंडियों को विशेषज्ञ रोगों के मिश्रण वाला आदर्श कटोरा मानते हैं। दुनिया के प्रमुख वैज्ञानिकों ने धरती और उसके संसाधनों की तबाही को आग से खेलने जैसा करार दिया है। कोविड-19 महामारी के रूप में इसे धरती की स्पष्ट चेतावनी बताया है। वनों और वन्यजीवों के बीच तेजी से बढ़ती दखलंदाजी अगर सीमित नहीं हुई तो भविष्य में कोरोना से भी घातक महामारी के लिए मानवता को तैयार रहना होगा। एक रिपोर्ट के मुताबिक, इंसानों की दखलअंदाजी की वजब से 10 लाख जीव और पौधों की प्रजातियों का अस्तित्व का खतरे में है।