OBC और SC/ST के आर्थिक मजबूत अपने लोग ही जरूरतमंदों को आरक्षण का फायदा नहीं लेने देते : सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली : एन पी न्यूज 24 – सुप्रीम कोर्ट पांच जजों की बेंच ने एक बड़ी बात कही है। दरसअल आंध्र प्रदेश के कुछ जिलों में अनुसूचित जनजातियों के लिए सौ फीसदी आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया है। कोर्ट ने इसके साथ ही तमाम राज्य सरकारों को चेताया कि भविष्य में कभी भी आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ज़्यादा नहीं कर सकते। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने ये दोहराया कि आरक्षण का फायदा उन लोगों को नहीं मिल रहा है, जिन्हें सही मायने में इसकी जरूरत है।

सुप्रीम कोर्ट पांच जजों की बेंच ने कहा कि ‘अब आरक्षित वर्गों के भीतर ही लोग परेशान हैं। अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के भीतर ही कई लोग अब संपन्न और सामाजिक तथा आर्थिक रूप से मजबूत हैं। अनुसूचित जातियों/जनजातियों के वंचित व्यक्तियों के सामाजिक उत्थान के लिए आवाज उठाई गई है, लेकिन अब भी आरक्षण का लाभ जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पा रहा है।’ कोर्ट ने आगे कहा कि इससे आरक्षित वर्गों के अधिकारों का हनन हो रहा है। ऐसे में न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने आंध्र प्रदेश के राज्यपाल द्वारा जारी किए गए सरकारी आदेश को रद्द कर दिया।

क्या है पूरा मामला – दरअसल साल 2000 में आंध्र प्रदेश ने कुछ अनुसूचित जनजाति बहुल जिलों में टीचर की पोस्ट के लिए 100 फीसदी आरक्षण दिया था। आदेश के मुताबिक उन जिलों में सिर्फ अनुसूचित जनजाति के लोगों को ही टीचर की नौकरी मिलनी थी। सुप्रीम कोर्ट ने अब इस आदेश को रद्द कर दिया है। बता दें कि पीठ ने इंदिरा साहनी जजमेंट को भी दोहराया है, जिसके मुताबिक आरक्षण संवैधानिक रूप से वैध है अगर वे 50% से आगे नहीं जाते हैं।

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