कोरोना बम पटकने वाले चीन के कारोबारी ‘अटैक’ के खिलाफ भारत सहित पूरी दुनिया एकजुट, बनाई यह रणनीति

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नई दिल्ली. एन पी न्यूज 24 – कोरोना बम पटककर चीन अब दुनिया के दूसरे देशों की कमजोरी का फायदा उठाकर उनकी कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए कारोबारी ‘अटैक’ में लग गया है, लेकिन चीन की चालाकी को समझते हुए भारत सहित कई देश चीन की दिग्गज सार्वजनिक कंपनियों के अपने यहां बढ़ते निवेश को रोकने की कोशिश में लग गए हैं। आइए, देखते हैं चीन के खिलाफ पूरी दुनिया किस तरह से एकजुट हो रही है-

– सबसे पहले यूरोपीय संघ ने अपने एफडीआई नियमों में बदलाव किया और कई सदस्य देशों ने चीन के ‘बारगेन हंटिंग’ को रोकने के लिए विदेशी निवेश पर अंकुश वाले नियम लाए।
– इस सूची में नया नाम भारत का है। भारत सरकार ने 17 अप्रैल को एफडीआई नियमों में बदलाव करते हुए कहा कि देश जिसकी स्थल सीमा भारत से लगती हो, वहां की कंपनी भारत में बिना सरकारी मंजूरी के निवेश नहीं कर सकती।
-अमेरिका में विदेशी कंपनियों द्वारा किसी भी संभावित खरीद की जांच के लिए विदेशी निवेश समिति (CFIUS) सक्रिय भूमिका निभा रही है। राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर इसकी जांच की जाती है।
– ब्रिटेन में सैन्य, कंप्यूटर हार्डवेयर, क्वांटम टेक्नोलॉजी आदि में अधिग्रहण बिना सरकारी मंजूरी के अब नहीं हो सकती।
– 17 मार्च को स्पेन की सरकार ने अपने 2003 के एक्ट में बदलाव करते हुए एफडीआई या किसी एफडीआई प्रस्ताव के लिए सरकार की पूर्व अनुमति जरूरी कर दी थी।

– 8 अप्रैल, 2020 को इटली ने एक ‘गोल्डेन पावर लॉ’ पेश किया, जिसके मुताबिक संवेदनशील क्षेत्रों में विदेशी निवेश पर कई तरह के अंकुश लगने हैं। इटली कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले देशों में से है।
– 30 मार्च को ऑस्ट्रेलिया ने भी विदेशी अधिग्रहण के नियमों को अस्थायी रूप से सख्त किया। सांसदों ने चेताया था कि एविएशन, हेल्थ आदि कई सेक्टर की परेशान कंपनियों को चीन जैसे देशों की सरकारी कंपनियां खरीद सकती हैं।
-18 अप्रैल, 2020 को कनाडा ने भी अपने विदेशी निवेश नियम को सख्त बना दिया। अब कनाडा की जन स्वास्थ्य या अन्य महत्वपूर्ण सप्लाई चेन से जुड़ी कंपनी में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को सरकारी जांच से गुजरना होगा।

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