पालघर मॉब लिंचिंग : जानें कैसे एक अफवाह ने भीड़ को हत्यारा बना दिया, पढ़े पूरी कहानी

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पालघर : एन पी न्यूज 24 – लॉकडाउन के दौरान महाराष्ट्र से एक मॉब लिंचिंग की खबर सामने आई है। करीब 200 लोगों की भीड़ ने महाराष्ट्र के पालघर जिले के एक गांव में जूना अखाड़े के दो साधुओं समेत तीन लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर दी। वहीं, पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए ग्रामीणों और 110 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, जिनमें से 101 को 30 अप्रैल तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है और नौ नाबालिगों को एक किशोर आश्रय गृह में भेज दिया गया है।

घटना के बाद महाराष्ट्र सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। घटना को लेकर तीन दिनों से सियासी घमासान चल रहा है। लेकिन, महाराष्ट्र सरकार ने साफ कर दिया कि इस मामले को साम्प्रदायिक रंग देने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। राज्य सरकार ने साफ किया कि यह वारदात आदिवासियों के गांव में हुई है, जो चोर और डाकुओं की अफवाह उड़ने के बाद खुद अपने गांव की चौकीदारी कर रहे थे।

क्या था पूरा मामला?
इससे पहले एक सरकारी मेडिकल टीम को चोर समझकर हमला किया गया –
पालघर जिले के दाभडी खानवेल रोड स्थित ग्रामीण इलाके में चोर डाकुओं के घुस आने अफवाह ज़ोर पकड़ रही थी। इसलिए ग्रामीण खुद अपने गांव की पहरेदारी कर रहे थे। 15 अप्रैल की शाम ग्रामीणों ने एक सरकारी मेडिकल टीम को चोर समझकर हमला कर दिया था। उस टीम में पुलिस इंस्पेक्टर काले, एक डॉक्टर और तीन पुलिसकर्मी शामिल थे। बमुश्किल उन लोगों ने ग्रामीणों से अपनी जान बचाई थी।

कार नहीं रुकने पर भीड़ ने पथराव सुरु कर दी –
16-17 अप्रैल की दरमियानी रात दाभडी खानवेल रोड के आदिवासी गांव गड़चिनचले गांव में लोग पहरेदारी कर रहे थे। उसी रात एक कार गांव में पहुंची, जिसमें दो साधु सवार थे। ये साधुएँ जूना अखाड़े के दो साधु अपने ड्राइवर के साथ मुंबई से गुजरात के सूरत में अपने साथी के अंतिम संस्कार के लिए जा रहे थे। महाराष्ट्र पुलिस के मुताबिक कार गांव में आते देख ग्रामीण सतर्क हो गए। उन्होंने कार रुकने का इशारा किया लेकिन कार नहीं रुकी तो भीड़ ने उस कार पर पथराव शुरू कर दिया। कार चालक ने अपने मोबाइल से पुलिस को सूचना दी।

भीड़ ने अचानक लाठी डंडों से पीटना शुरू कर दिया –
मगर जैसे ही कार वहां रुकी, तो भीड़ ने उन तीनों लोगों को कार से उतारकर लाठी डंडों से पीटना शुरू कर दिया। इससे पहले कि कार सवार लोग कुछ बताते या समझाते, गांव वालों ने उन्हें चोर डाकू समझकर बहुत पीटा। जब ग्रामीण उन तीनों लोगों को पीट रहे थे, तभी पुलिस मौके पर जा पहुंची। पुलिस ने ग्रामीणों को रोकने की पूरी कोशिश की, लेकिन भीड़ कुछ समझने को तैयार नहीं थी। भीड़ ने पुलिस टीम पर भी हमला कर दिया।

एक सीनियर पुलिस अधिकारी भी हुए घायल –
इस हमले में कासा पुलिस स्टेशन के अधिकारियों के अलावा जिले के एक सीनियर पुलिस अधिकारी भी घायल हो गए। कुल मिलाकर इस घटना में पांच पुलिसकर्मी घायल हो गए। पुलिस के एक वाहन को भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया। इस दौरान भीड़ के हत्थे चढ़े तीनों कार सवार लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। मरने वालों में दो साधु और उनका एक ड्राइवर शामिल था। बाद में मौके पर भारी पुलिस बल बुलाया गया। तब तीनों शव कब्जे में लेकर पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए भिजवाए।

मामला की राजनीति शुरू –
गड़चिनचले गांव की इस घटना की सूचना जंगल में आग की तरह फैल गई। विपक्षी दलों ने ठाकरे सरकार को घेरना शुरू कर दिया। इसके बाद महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने बयान जारी कर कहा ‘मॉब लिंचिंग की जो घटना हुई है, वहां पर तीन लोग बिना इजाजत दूसरे राज्य में जा रहे थे। उन्होंने मेन रोड से ना जाकर ग्रामीण सड़क से जाने की कोशिश की, वहीं पर ग्रामीणों ने उनको पकड़ लिया। गांव वालों को लगा कि वे शायद चोरी करने आए हैं, इसकी वजह से उन पर हमला हुआ और तीनों लोगों की मौत हो गई।

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