वाशिम -एन पी न्यूज 24 – महाराष्ट्र के वाशिम जिले के कलाम्बेश्वर में एक दलित मजदूर की कहानी भी कुछ ‘माउंटेन मैन’ दशरथ मांझी की तरह है। कुएं के मालिक की पत्नी ने एक दिन उसकी पत्नी को पानी नहीं भरने दिया।
पत्नी की बेइज्जती पर बहुत रोया था : बापूराव ने कहा, ”कुएं के मालिक ने जब पत्नी को भगा दिया तो उस दिन मैं बहुत रोया। हमारी बेइज्जती क्यों? क्या हम गरीब और दलित हैं इसलिए?’ उसी दिन ठान लिया कि पानी के लिए किसी के सामने हाथ नहीं फैलाऊंगा। अगले ही दिन मालेगांव से औजार खरीदकर लाया और खुदाई शुरू कर दी।
जिद ठान ली : बीए पास मजदूर बापूराव को पत्नी की बेइज्जती बर्दाश्त नहीं हुई और उसने खुद कुआं खोदने की जिद ठान ली। दिन-रात एक कर 40 दिन में जमीन से पानी निकाल दिया। मेहनत रंग लाई और अब सूखे की मार झेल रहे इलाके के दलितों के साथ ऊंची जाति के लोग भी इससे प्यास बुझा रहे हैं।
गांववालों ने उड़ाया था बापूराव का मजाक : बापूराव तजने ने पानी निकालने के लिए रोजाना 6 घंटे खुदाई की। उसकी जिद थी, कि जब तक पानी नहीं निकाल लेता, खुदाई करता रहूंगा। इसके लिए घरवालों की भी मदद नहीं ली। बस एक उम्मीद थी कि एक दिन पानी जरूर निकलेगा। कई दिनों की मेहनत के बाद जब बापूराव को पानी नजर आया तो लगा जैसे घोर तपस्या के बाद भगवान मिल गए हैं। बापूराव की एक अच्छी जिद का ही नतीजा है कि आज वाशिम जिले के कलाम्बेश्वर गांव के लोगों को पानी मिलने लगा है।
पड़ोसी खुश हैं कि उनकी पानी की परेशानी खत्म हो गई। पानी के लिए मीलों दूर नहीं जाने पड़ेगा और न ही जिल्लत सहनी होगी। फिलहाल 15 फीट गहरे कुएं को चौड़ा और गहरा करने के लिए अब बापूराव की पत्नी संगीता और पड़ोसी भी मदद कर रहे हैं।