लकवा मार गए बुजुर्ग को इलाज के लिए भटकना पड़ा दरबदर

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पिंपरी। एन पी न्यूज 24 – पूरी दुनिया कोरोना महामारी से लड़ रही है। ऐसे में यहां के डॉक्टर दूसरी इमरजेंसी सेवाओं से दूरी बनाए हुए हैं। इसके चलते लोगों को इलाज के लिए दर-दर भटकाना पड़ रहा है। कुछ ऐसा ही मामला सामने आया जब 91 साल के बुजुर्ग को पैरालिटिक अटैक पड़ा तो डाक्टरों ने इलाज करने से हाथ खड़े कर दिए्। परिवार के लोग एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल तक करीब पांच अस्पतालों के चक्कर लगाए लेकिन किसी ने भी बुजुर्ग का इलाज नहीं किया। आखिर में छठे अस्पताल कोरेगांव पार्क में इनलैक्स और बुधरानी हॉस्पिटल ले गए्। जहां बुजुर्ग को भर्ती कराया गया है।
पुणे में रहने वाले एक 90 वर्षीय बजुर्ग को लकवा का अटैक आने पर पुणे के 5 अस्पतालों में परिजन इलाज के लिए गए लेकिन किसी ने इस बुजुर्ग का इलाज नहीं किया। आखिर में बुधरानी हॉस्पिटल मसीहा बनकर सामने आया और भर्ती करके इलाज शुरु किया। पिंपरी चिंचवड़ में दिघी के रहने वाले पूर्व सैनिक गोपाल रसाल ने मंगलवार को सुबह साढ़े 11 बजे चक्कर आने की शिकायत की थी। इस पर उनके पोते 22 वर्षीय स्वप्निल रसाल ने उन्हें घर की कार में बैठाया और रेंज हिल्स में केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना ले गए्। वहां ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर ने कहा कि कोरोना वायरस से संबंधित मामलों में भीड़ है और उसके पास वरिष्ठ नागरिक की जांच करने का समय नहीं है। रोगी की जांच किए बिना डॉक्टर ने तीन दिनों के लिए कुछ दवाएं लिख दीं और वह वापस चला गया।
इसके बाद परिवार के लोग भोसरी के ओम अस्पताल पहुंचे। वहां के अस्पताल कर्मचारियों ने बताया कि डॉक्टर किसी बुजुर्ग मरीज को नहीं देख रहे हैं। इस बारे में ओम हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. अशोक अग्रवाल ने बताया कि वर्तमान में हम एक प्रोटोकॉल का पालन कर रहे हैं, जिसके तहत हम 60 साल से अधिक आयु के किसी भी रोगी को नहीं देख रहे हैं। ऐसे समय में इस तरह के किसी मरीज को भर्ती करना अनैतिक होगा और हम उसकी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं होंगे। एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटकते रहे बुजुर्ग के परिजन इसके बाद बुजुर्ग के परिजन इधर-उधर गाड़ी दौड़ाते रहे। साईंश्री अस्पताल, दिघी के विनोद मेमोरियल अस्पताल और नगर रोड पर सह्याद्रि अस्पताल में गए लेकिन किसी ने भी 91 वर्षीय बुजुर्ग का इलाज नहीं किया।
बुजुर्ग के पोते स्वप्निल रसाल ने बताया कि सभी अस्पतालों में कोरोना को लेकर चिंता देखी गई लेकिन हमें तो बस उन्हें (गोपाल रसाल) भर्ती कराने और उपचार शुरू करने की जरूरत थी। उन्होंने कहा कि कोरोन के रोगियों का इलाज कर रहे सभी अस्पतालों में उनके दादाजी का इलाज करने से इनकार कर दिया। सह्याद्रि अस्पताल द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि पिछले दो दिनों में दिए गए नाम या विवरण के साथ कोई रोगी हमारे पास नहीं आया। विशेष मामलों में हम कुछ रोगियों को कस्बा पेठ के सूर्य अस्पताल में भेज रहे हैं, जबकि सभी अन्य रोगियों का इलाज कर रहे हैं। बुधरानी हॉस्पिटल में मिला इलाज जब वे बुधरानी हॉस्पिटल के पास पहुंचे, तब जाकर बुजुर्ग को इलाज मिला। बुजुर्ग के पोते स्वप्निल रसाल ने बताया कि जब हम अस्पताल पहुंचे तब तक दादाजी की तबीयत और बिगड़ गई थी और उन्हें यूरिन पास करने में भी कठिनाई हो रही थी। शाम के 7 बज रहे थे। तब उन्हें निमोनिया का भी पता चला। बताया कि जब बुधरानी में दादाजी को भर्ती कराया तो वहां के डॉक्टरों ने कहा कि अगर उन्हें तत्काल चिकित्सा मिलती तो हालत इस हद तक नहीं बिगड़ती और वे कुछ दिनों में ठीक हो जाते। लेकिन अब वह जीवन से जूझ रहे हैं।
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