कोरोना वायरस न कोई जिंदा जीव और न ही यह मरता है: जॉन होपकिंस यूनिवर्सिटी रिसर्च में खुलासा

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एन पी न्यूज 24 — कोरोना ने पूरी दुनिया में हाहाकार मचा रखा है. ऐसे में पूरी दुनिया के साइंटिस्ट इसकी वैक्सीन से लेकर इससे जुड़ी हर तरह की जानकारी खोजने में लगे हुए हैं. ऐसे में जॉन होपकिंस यूनिवर्सिटी द्वारा इस वायरस को लेकर अहम जानकारियां साझा की गई है, जो कोरोना के असर को रोकने में कारगर सिद्ध हो सकती हैं.

यह जिंदा जीव नहीं है

जॉन होपकिंस यूनिवर्सिटी ने अपनी स्टडी में पाया है कि कोरोना वायरस कोई जिंदा जीव नहीं है, बल्कि यह  एक प्रोटीन मॉलीक्यूल (डीएनए) है. यह लिपिड (फैट या वसा) की परत से घिरा होता है. यह जब आंख या नाक या बुक्कल म्यूकोसा (एक तरह का मुख कैंसर) की सेल्स द्वारा सोख लिया जाता है तो यह इनके जेनेटिक कोड को बदल देता है. यह इन्हें आक्रामक और मल्टीप्लायर सेल्स में बदल देता है.

खुद ही हो जाता क्षय

स्टडी में पता चला है कि यह वायरस यह वायरस बेहद क्षणभंगुर (फ्रेजाइल) है. यह मरता नहीं है बल्कि खुद ही क्षय हो जाता है अर्थात् खुद ही नष्ट हो जाता है. हालांकि इसके क्षय के लिए वक्त तापमान, ह्यूमिडिटी (नमी) और जिस मटेरियल पर यह है उस पर निर्भर करता है.

वसा की परत
कोरोना को जो चीज सबसे अधिक सुरक्षित रखती है वह है इसकी पतली बाहरी परत या फैट. इसलिए हम साबुन या डिटर्जेंट से इसे नष्ट कर सकते हैं, क्योंकि साबुन फोम वसा या फैट को काट देती है. बता दें कि फैट की परत के घुल जाने से प्रोटीन मॉलीक्यूल अलग-अलग होकर खुद ही टूट जाते हैं.

इसलिए भी 25 डिग्री सेल्शियस या उससे अधिक गर्म पानी से हाथों, कपड़ों और बाकी दूसरी चीजों को धोना चाहिए.

सतह पर चिपक जाता है

यह वायरस किसी भी सतह पर चिपक जाता है. इसलिए किसी भी वस्तु को झटके नहीं, क्योंकि ऐसा करने से वायरस हवा के जरिए आपके नाक और मुंह में प्रवेश कर सकता है. साथ ही बार-बार संपर्क में आने वाली सतहों जैसे दरवाजे के हैंडल आदि की सफाई करते रहें. इसके लिए ऑक्सीजेनेटेड वॉटर लाभप्रद है.

वायरस का प्रोटीन
यह वायरस मॉलीक्यूल ठंडे मौसम में काफी देर तक टिका रहता है. साथ ही यह घरों और कारों में लगे एयर कंडीशनर्स पर भी अधिक देर चिपका सकता है. अँधेरे में इसके रहने की अवधि और बढ़ जाती है.

धूम या गर्मी में जल्द टूट जाते हैं

वहीं सूखे, बिना आर्द्रता वाले, गर्म और रोशनी वाले वातावरण में इसके मोलेक्यूल्स जल्द टूट जाते हैं. अगर किसी वस्तु पर यूवी लाइट आती है तो भी इस वायरस का प्रोटीन टूट जाते हैं.

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