लॉकडाउन के दौर में भारत में बढ़े मानसिक बीमारी के मामले, मेंटल हेल्थ को बनाए रखने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी की ‘एडवाइजरी’

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एन पी न्यूज 24 — दुनियाभर में घातक कोरोना वायरस लाखों लोगों की जान ले रहा है. पूरी दुनिया इसके खौफ के साए में जी रही है. ऐसे दिन आ गए हैं कि मौसमी सर्दी-खांसी होने पर भी हम पेनिक हो जाते हैं कि कई हम संक्रमित तो नहीं हो गए हैं. वहीं परिवारवाले भी किसी सदस्य को छींकते-खांसते देख घबरा जाता है. कम शब्दों में कहें तो कोरोना संक्रमण लोगों में मानसिक बीमारी बन गया है. सोशल डिस्टेंसिंग भी इसका एक कारण माना जा रहा है.

यहीं नहीं इस दौरान अफवाहों और नौकरी, कमाई, बचत या यहां तक कि बुनियादी संसाधनों को खोने का डर घर कर रहा है. इससे भी लोग डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं. द इंडियन साइकियाट्री सोसाइटी ने एक ताजा सर्वे में पाया है कि कोरोना के कारण देश में मानसिक बीमारी से पीड़ित लोगों में 20 प्रतिशत तक की वृद्धि देखी जा रही है.

वहीं एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि, सिर्फ 1 हफ्ते में मानसिक रोग के मरीजों में औसतन 15 प्रतिशत से 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. सर्वे में यह भी किया गया है कि प्रत्येक 5 भारतीयों में से एक इन दिनों मानसिक बीमारी से जूझ रहा है.

नोएडा स्थित फोर्टिस अस्पताल में मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार विज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. मनु तिवारी ने भी कहा है कि, “लॉकडाउन के बाद लोग एंजायटी, पैनिक अटैक, Alcohol Withdrawal Syndrome आदि से पीड़ित हैं. संभावना है कि आगामी वक्त में यह आंकड़ा और बढ़ेगा.”

इन बातों को गंभीरता से लेते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा एक एडवाइजरी जारी की गई है. इसमें बताया गया है कि लॉकडाउन के दौरान क्या करें और क्या न करें.

जानें मंत्रालय की लॉकडाउन से निपटने की सलाह…

सामजिक दूरी कैसे बनाए: 

  • खुद को रोजाना के काम में व्यस्त रखें .
  • नकारात्मक सोच और भावनाओं को दिलो-दिमाग में आने न दें. इसलिए संगीत सुने, पुस्तक पढ़े या टेलीविजन पर मनोरंजक कार्यक्रम देखें.
  • पौष्टिक भोजन करें और अधिक तरल पदार्थों का सेवन करें.
  • शारीरिक रूप से खुद को एक्टिव रखें.
  • शेयरिंग केयरिंग है.
  • बुजुर्गों को उनकी जरूरत, उनकी दवाई, दैनिक जरूरतें आदि प्राप्त करने में सहायता करें.
  • बच्चों को समय दें और उन्हें भी घर के कामों में मदद करने के लिए कहें और उन्हें भी व्यस्त रखें.

भावनात्मक समस्याओं को संभाले :

  • टेंशन या चिंता में कुछ मिनटों के लिए धीरे-धीरे सांस लेने का अभ्यास करें. कुछ शांत और निर्मल सोचें और अपने दिमाग को आराम दें.
  • जब गुस्सा और चिढ़ महसूस हो, अपना ध्यान कहीं और लगाएं.
  • डर लगने पर भी, खुद से इससे निपटें, खुद से इन गतिविधियों को कम करने की कोशिश करें.
  • दूसरों के साथ जुड़े रहें.
  • फिर भी आपके मन में भावनाएं कई दिनों तक लगातार बनी हुई है तो किसी से शेयर करें.

इसके अलावा केंद्रीय मंत्रालय ने लोगों सेड उनके परिवार व निकटतम लोगों में भी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को पहचानने के लिए कहा है.

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