नई दिल्ली, 30 मार्च एन पी न्यूज 24 – देश का सबसे बड़ा शोध संस्थान वैज्ञानिक एवं औधोगिक अनुसंधान परिषद् (सीएसआईआर ) ने सस्ते जांच किट और उपचार तलाश रहा है। इस मुद्दे पर सीएसआईआर के महानिदेशक शेखर सी मांडे से बातचीत के कुछ अंश।
सवाल : कोविड के खतरे से निपटने के लिए क्या कर रहे है ?
जवाब : हम पांच उपाय कर रहे है। जहां-जहां बीमारी फैली है, उस क्षेत्र की हमारी प्रयोगशालाएं इसका मोलीक्यूलर सर्विलांस कर रही है ताकि इसके खतरे, प्रभाव और प्रकृति को बेहतर ढंग से समझा जा सके. हम सस्ते जांच किट बनाने पर काम कर रहे है। दवा बना रहे है। हॉस्पिटल और पर्सनल प्रोटेक्शन उपकरण बना रहे है और देश के हर हिस्से में मेडिकल उपकरणों की सप्लाई सुनिश्चित कर रहे है।
सवाल : अभी कोविड की जांच की लागत पांच हज़ार है व 6 घंटे लगते है, आप किस तरह का किट बना रहे है ?
जवाब : हम ऐसी पेपर जांच किट विकसित कर रहे है जिसमे केवल पांच-दस मिनट में जांच संभव हो. इसकी लागत भी 100 रुपए के करीब होगी।
सवाल : क्या आप दवा खोज सकेंगे ?
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जवाब : सीएसआईआर की तीन प्रयोगशालाएं नेशनल केमिकल लेब्रोटरी पुणे, सेंट्रल ड्रग रिसर्च लेब्रोटरी लखनऊ और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ केमिकल टेक्नोलॉजी हैदराबाद इस पर काम कर रहे है। हमने सिप्ला और कैडिला जाइडस से भी समझौता किया है। उम्मीद है हम इस बीमारी के लिए दवा ढूंढ लेंगे।
सवाल : देश में वेंटिलेंटर की कमी है, इस दिशा में आप क्या कार्य कर रहे है ?
जवाब : जैसे मैंने बताया कि हॉस्पिटल और पर्सनल प्रोटेक्शन उपकरण बनाने के लिए हम बीएचईएल के साथ काम कर रहे है। बीएचईएल के साथ हम 10 हज़ार रुपए की लागत का वेंटिलेटर तैयार कर रहे है। तीन मॉडल तैयार किये है. उच्च मॉडल की कीमत एक लाख के करीब होगी। इन सस्ती वेंटीलेटर को देश के हर हॉस्पिटल और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तक पहुंचाना आसान होगा।
सवाल : अटकले है कि वक़्त के साथ कोविड-19 खुद कमजोर पड़ जाएगा। ऐसा संभव है ?
जवाब : ऐसी संभावना है। यह देखा गया है कि कुछ समय के बाद लोगों में वायरस के खिलाफ हर्ड इम्युनिटी आ जाती है। लेकिन जब तक यह आएगी तब तक यह काफी लोगों को संक्रमित कर चुकी होगी। 50-60% आबादी जब संक्रमित हो जाएगी तब लोगों में हर्ड इम्युनिटी आएगी।
सवाल : कोविड-19 जैविक हथियार के रूप में तैयार किया गया था ?
जवाब : यह अटकले है. प्राकृतिक कारणों से वायरस में बदलाव आते है। कभी कभी यह बदलाव ज्यादा हो जाता है। जैसा की इस बार हुआ है। इससे मानव शरीर में प्रतिरोधक नहीं बन पाता है।