कानपुर, एन पी न्यूज 24– कोरोनो वायरस के रोगियों की संख्या को देखते हुए वेटिंलेटर की मांग तेजी से देश और दुनिया में बढ़ रही है। भारत में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ते देखकर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान(आइआइटी) कानपुर और पुरातन छात्र आगे आए और उन्होंने चार दिन में पोर्टेबल वेंटीलेटर का प्रोटोटाइप मॉडल तैयार कर लिया है। अब इसे जल्द ही मरीजों पर टेस्ट किया जाएगा। इसमें डॉक्टरों की सुरक्षा को देखते हुए कई विशेष फीचर भी इनबिल्ड हैं। टीम का एक महीने के अंदर एक हज़ार पोर्टेबल वेंटीलेटर तैयार करने का लक्ष्य है।
मोबाइल से होगा संचालित : विशेषज्ञों के मुताबिक पोर्टेबल वेंटीलेटर मोबाइल फोन से संचालित होगा। ऐसे में इसे डॉक्टर या स्वास्थ्य कर्मी निश्चित दूरी से इसे चला सकता है। ऑक्सीजन के लिए दो ऑप्शन है, एक स्लो और दूसरा फ़ास्ट। इसमें आसानी से ऑक्सीजन सिलिंडर भी जोड़ा जा सकता है। यह बेहद हल्का और छोटा है। इसमें छोटी बैटरी भी लगी है, यदि कुछ देर बिजली आपूर्ति बंद भी हो जाएगी तो भी यह काम करता रहेगा। यह ऑटोमैटिक है। दरअसल, कोरोना वायरस संक्रमित मरीज से डॉक्टरों को चपेट में आने का अधिक खतरा रहता है। इसमें सबसे ज्यादा संवेदनशील वेंटिलेटर होता है क्योंकि उसे संचालित करने के लिए बार बार छूना भी पड़ता है। इससे डॉक्टरों को खतरा रहता है, ऐसे में इस पोर्टेबल वेंटिलेटर में सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा गया है।
अब हो रहा अपग्रेड वर्जन पर काम : आइआइटी के विशेषज्ञों ने पोर्टेबेल वेंटिलेटर का प्रोटोटाइप बनाने के बाद अपग्रेड वर्जन पर काम करना शुरू कर दिया है। इसे आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से जोड़ा जा रहा है, इसमें रोगी की स्थिति को देखते वेंटिलेटर स्वत: निर्णय लेगा कि किस मोड में ऑक्सीजन सप्लाई देनी है। इसके साथ ही कोरोना संक्रमित मरीज से वेंटिलेटर हटाने के बाद उसे सेनेटाइज करने के लिए भी ऑपशन दिया जा रहा है।
ऐसे मिली सफलता : आइआइटी के पुरातन छात्र निखिल कुरेले और हर्षित राठौर ने आइआइटी के इनोवेशन एंड इन्क्यूबेशन हब के सहयोग से पोर्टेबल वेंटीलेटर का आइडिया विकसित किया था और इसे पेटेंट भी कराया। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, स्काईप और अन्य तरीके से दिन रात एक कर प्रोटोटाइप मॉडल तैयार कर लिया। उनकी कंपनी ने कुछ अन्य संस्थाओं के सहयोग से जल्द से जल्द कई वेंटीलेटर बनाने का निर्णय लिया है।
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