दिहाड़ी मजदूरों के पेट पर पड़ रही कोरोना की मार

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पुणे। एन पी न्यूज 24 – कोरोना वायरस महामारी को मात देने के लिए किये जा रहे उपाय असरदार साबित हो रहे हैं। इसकी रोकथाम के लिए लोगों का घरों में रहना जरुरी है। इसलिए देशभर में लॉकडाउन का किया जा रहा है, लेकिन इस लॉक डाउन के चलते पुणे और पिंपरी चिंचवड़ शहरों में दिहाड़ी मजदूरों के समक्ष उदरनिर्वाह का सवाल खड़ा हो गया है। ये लोग अपने गांव भी नहीं जा सकते, क्योंकि लॉकडाउन की वजह से यात्रा का कोई साधन उपलब्ध नहीं है।
कोरोना की रोकथाम के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 दिनों का लॉक डाउन की घोषणा की है। पुणे और पिंपरी चिंचवड़ शहरों में उससे पहले से धारा 144 लागू करते हुए संचारबन्दी भी लागू की गई है। अब 21 दिनी के लॉक डाउन की घोषणा होने के बाद दिहाड़ी मजदूरों को दो वक्त की रोटी जुटाना मुश्किल हो गया है। ये मजदूर अपने मूल स्थानों को भी लौट नहीं सकते, क्योंकि लॉकडाउन की वजह से यात्रा का कोई साधन उपलब्ध नहीं है।
पुणे के ऐतिहासिक शनिवारवाड़ा के बाहर 50 से 60 दिहाड़ी मजदूरों को देखा गया जो इसी इंतजार में थे कि दानी लोग या एजेंसियां उनकी सुध लेने आएंगी।उनके लिए न तो खाने का कोई इंतजाम है और न सिर छुपाने को। यही तस्वीर पुणे और पिंपरी चिंचवड़ शहरों में कई जगहों पर दिखाई दे रही है। मजदूरों अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि जिसके लिए काम करते थे उसने उनसे कमरे खाली करने के लिए कह दिया। अब फुटपाथ पर इसी उम्मीद से पूरा दिन काट रहे हैं कि कोई उन्हें खाना देने आएगा या प्रशासन उन्हें कोई शेल्टर उपलब्ध कराएगा। घरों से लोगों के नहीं निकलने की वजह से इन दिहाड़ी मजदूरों की सारी उम्मीद सामाजिक संस्थाओं या प्रशासन पर टिकी हैं।
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