एन पी न्यूज 24 – अमेरिका को दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति माना जाता है. इसके सामने बड़े और पावरफुल देश नतमस्तक रहते हैं. लेकिन यह विडंबना नहीं तो और क्या है कि इस शक्तिशाली देश ने एक वायरस के सामने अपने घुटने टेक दिए हैं. आसमान से पाताल तक अपनी शक्ति का लोहा मनवा चुका अमेरिका अब तक इस वायरस को मारने की कोई ठोस वैक्सीन नहीं बना पाया है और असहाय बने रोजाना अपने नागरिकों को तड़पते हुए मरता देख रहा है.
हालांकि अमेरिका के वैज्ञानिकों की कोरोना वैक्सीन बनाने की कोशिश जारी है और लैब में कई टेस्ट किए जा रहे हैं. कल (19 मार्च) को ही ट्रंप ने कोरोना वायरस के ट्रीटमेंट के लिए मलेरिया की दवा इस्तेमाल करने की मंजूरी दी है. लेकिन इसे भी कोरोना की रोकथाम की ठोस दवाई नहीं कहा जा सकता.
डोनाल्ड ट्रंप ने बताया कि, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन नामक एक मलेरिया और गठिया की दवा के कोरोना वायरस के उपचार में बेहतरीन परिणाम देखने को मिले हैं. इसलिए फ़िलहाल कोरोना के इलाज में मलेरिया की दवा कारगर है.
इस बीच अमेरिका में कोरोना से मरने वालों की संख्या निरंतर बढ़ते जा रही है. कल यानि कि 19 मार्च 2020 को अमेरिका में कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या कुल 10,491 हो गई है. पहले यह आंकडा 3404 था. वहीं, कथित वायरस ने यहां एक दिन में करीब तीन गुना से अधिक लोगों की जान ले ली. अमेरिका में पहले मरने वालों की संख्या 53 थी जो अब बढ़कर (19 मार्च) 150 हो गई है.
अचानक मौत का आंकड़ा बढने के बाद अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग इसके कारणों को जानने के प्रयास कर रहा है.