हिंदुस्तान में अब 755 लोगों को दी गयी हैं फांसी, 58 देशों में भी दोषियों को लटकाया जाता है फांसी पर


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नई दिल्ली : एन पी न्यूज 24 – आखिकार आज यानि 20 मार्च को निर्भया के चारों दोषियों को सुबह 5.30 बजे तिहाड़ जेल फांसी दे दी गयी। यह पहली बार नहीं हुआ जब किसी दोषियों को हिंदुस्तान में फांसी पर लटकाया गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक इससे पहले और अब तक कुल 755 लोगों को यहां फांसी पर लटकाया जा चूका है। आजादी के बाद ब्रिटिशराज के अधिकांश कानून जस के तस अपनाए गए। 1955 में फांसी से संबंधित कानून उसी का हिस्सा है।

1967 में विधि आयोग ने अपनी 35वीं रिपोर्ट में मृत्युदंड बरकरार रखने की पैरवी की थी। तब आयोग ने कहा था कि फांसी को ‘आंख के बदले आंख’ की तरह नहीं देखना चाहिए। दरअसल, समाज में लोगों का ऐसा वर्ग है जो निर्दयी और शैतान हैं और सुधर नहीं सकते। तब भारतीय समाज की तत्कालीन परिस्थितियों को देखते हुए आयोग ने सजा-ए-मौत  को जरूरी बताया था। विधि आयोग के एक रिपोर्ट के मुताबिक, मृत्युदंड अपराधियों में उम्रकैद की तुलना में ज्यादा भय पैदा नहीं करता। इसे प्रतिशोध के स्तर तक नहीं जाना चाहिए। लिहाजा, आतंकवाद और राष्ट्र के खिलाफ युद्ध जैसे अपराधों को छोडक़र अन्य के लिए फांसी की सजा खत्म कर देनी चाहिए। बात करें दिल्ली की तिहाड़ जेल की तो वहां अब तक अफलज गुरु समेत 25 अपराधियों को लटकाया गया है।

अब तक किस राज्य में कितनी सजा-ए-मौत –
उत्तर प्रदेश 366, हरियाणा 103, मध्य प्रदेश 78, महाराष्ट्र 56, कर्नाटक 39, प. बंगाल 32, आंध्र प्रदेश 27, दिल्ली 25, पंजाब 10, जम्मू-कश्मीर 05, ओडिशा 05 इसके अलावा फांसी देने के तरीके भी अलग-अलग देशों में अलग-अलग है।  भारत सहित 33 देशों में यह मृत्युदंड का एकमात्र तरीक़ा है।

फांसी के अलावा सिर कलम, पथराव और इंजेक्शन देकर दी जाती है मौत की सजा –
अफग़़ानिस्तान-सूडान – फ़ायरिंग, फांसी, पथराव।

बांग्लादेश, केमरून, सीरिया, युगांडा, कुवैत, ईरान, मिस्र – फ़ायरिंग, फांसी।

भारत, मलेशिया, बारबाडोस, बोत्सवाना, तंजानिया, जाम्बिया, जिंबाब्वे, दक्षिण कोरिया – फांसी।

यमन, टोगो, तुर्कमेनिस्तान, थाइलैंड, बहरीन, चिली, इंडोनेशिया, घाना, अर्मीनिया – फ़ायरिंग।

फिलीपींस – इंजेक्शन।

चीन – इंजेक्शन, फ़ायरिंग।

अमेरिका – इलेक्ट्रोक्यूशन, फांसी, फ़ायरिंग।


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