लेबोरेटरी से नहीं बल्कि प्रकृति से फैला कोरोना वायरस, वैज्ञानिकों का बड़ा दावा

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मुंबई :एन पी न्यूज 24 – कोरोना वायरस पर वैज्ञानिकों ने बड़ा दावा किया है। जिसमें कोरोना वायरस चीन की किसी प्रयोगशाला से लीक होकर लोगों में पहुंचा। वहीं अमेरिका द्वारा चीन में यह वायरस फैलाने के आरोपों का भी खंडन किया है। अमेरिका के स्क्रिप्स शोध संस्थान सहित अन्य संस्थानों के वैज्ञानिकों ने शोध में बताया है कि ऐसा साक्ष्य नहीं मिलता कि वायरस को कृत्रिम रूप से बनाया गया। हालांकि रिपोर्ट में यह जरूर दावा किया गया है कि चीनी अधिकारियों ने इस महामारी को पहले से पहचान लिया था।

कोरोना वायरस एक व्यक्ति के शरीर में दाखिल होने के बाद दूसरे व्यक्ति में फैलता जा रहा है। वायरस स्पाइक प्रोटीन पैदा करता है, उसे हुक जैसा उपयोग करके मानव कोशिकाओं को किसी कोल्ड ड्रिंक की केन की तरह खोलकर उनमें दाखिल हो रहा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, स्पाइक प्रोटीन को किसी प्रयोगशाला में जेनेटिक इंजीनियरिंग से विकसित करना संभव नहीं है। वैज्ञानिकों के मुताबिक यह वायरस किसी जीव में प्राकृतिक चयन के जरिए विकसित हुआ और फिर मानव में आया।

बता दें कि ‘सार्स’ सीवेट और ‘मर्स’ ऊंट से आए थे। मौजूदा कोरोना वायरस को चमगादड़ से उपजा माना जा रहा है क्योंकि  यह उनमें मिलने वाले वायरस से मिलता-जुलता है। दूसरा ये कि इससे मिलता जुलता वायरस पेंगोलिन जीव में होता है। मानव इन जीवों को खाता रहा है। उनसे वायरस मानव में आता रहा। धीरे-धीरे प्राकृतिक चयन सिद्धांत के जरिए इसने स्पाइक प्रोटीन बनाना सीखा और मानव कोशिकाओं में पहुंचने की क्षमता हासिल की।

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