नई दिल्ली – एन पी न्यूज 24 – पश्चिमी देशों में कोरोना वायरस के तेजी से फैलते संक्रमण के चलते सुपरमार्केटों में टॉयलेट पेपर वाले रैक फटाफट खाली हो जा रहे हैं। ऐसी संकट की स्थिति में पश्चिमी देशों में शौच के बाद पेपर के बजाय पानी से धोने का आइडिया सोशल मीडिया के माध्यम से लोकप्रिय हो रहा है। भारतीय संस्कृति को इस प्रकार तेजी से पश्चिमी देश भी अपनाते जा रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया के सिडनी स्थित एक सुपर मार्केट में तो मारामारी तक हो गई। टॉयलेट पेपर की किल्लत को लेकर यह स्थित सामने आई इस घटना में लिप्त दो महिलाओं को 28 अप्रैल को कोर्ट में पेश होने का नोटिस जारी किया गया है। बता दें कि टॉयलेट सीट में पानी से धोने की व्यवस्था करने में फ्रांस सबसे आगे रहा। चीन में दूसरी सदी ईसा पूर्व में हुए कागज के आविष्कार के बाद सन 589 में टॉयलेट में पेपर के इस्तेमाल का पहला सबूत कुछ ऐतिहासिक दस्तावेजों में मिलता है। चीन में टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल यूरोप से कई सदी पहले से होने लगा था।
सन 1883 में यूरोप में पेपर टॉयलेट डिस्पेंसर का पहला पेटेंट आया और इसके आठ साल बाद अमेरिका में ऐसा पहला प्रोडक्ट पेटेंट हुआ. तबसे सस्ता होने के कारण इसकी खपत बढ़ती ही गई और आज टॉयलेट पेपर रोल के इस्तेमाल में अमेरिका विश्व में सबसे आगे है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि भले ही अभी दुकानों से जरूरी चीजों के खाली होने या फिर लगभग लूट मच जाने की स्थिति दिख रही हो, लेकिन पहले भी जब कोई बड़ी मुसीबत आई है तो लोगों ने बढ़ चढ़ कर इंसानियत और एकजुटता दिखाई है। इसलिए बेहतर होगा अगर सोशल डिस्टेंसिंग की सलाह को मानते हुए सोशल मीडिया से जुड़े रहा जाए, क्या पता नमस्ते और शौच के बाद धोने के अलावा बाकी दुनिया से कुछ और भी बेहतर साझा करने का मौका मिल जाए। बता दें कि देसी नमस्ते को आज विश्व के अनेक भागों में हंसते-हंसते अपनाया जा रहा है-खसकर कोरोनों वायरस के संदर्भ में।