बिहार में पहली बार कोई बीमारी महामारी घोषित हुई…

कोरोना को लेकर नितिश ने यह कहा, जो भी संदिग्ध व्यक्ति जांच, इलाज से इनकार करेगा, उसे सजा दी जाएगी

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पटना. . एन पी न्यूज 24 – बिहार में कोरोना वायरस को राज्य सरकार ने महामारी घोषित कर दिया गया है। इसके साथ ही बिहार में पहली बार कोई बीमारी महामारी घोषित की गयी है। दरअसल 128 वर्ष पुराने केंद्रीय कानून ‘द ऐपिडिमिक डिजीज एक्ट, 1897’ के तहत बिहार सरकार ने पहली बार कोविड (कोरोना वायरल डिजीज)-19 को महामारी के रूप में घोषित किया है। इसके तहत बिहार में प्रशासन को असीमित अधिकार दिया गया है। इसके लागू होने से सरकार किसी भी संदिग्ध व्यक्ति में कोरोना वायरस के लक्षण पाए जाने पर उसकी जांच करा सकती है और उसे बलपूर्वक आइसोलेशन वार्ड में भर्ती करा सकती है। हालांकि जांच रिपोर्ट आने पर अथवा 14 दिनों तक आइसोलेशन में रखने के बाद उसे छोड़ा भी जा सकता है।

जो भी संदिग्ध व्यक्ति जांच, इलाज से इंकार करेगा उसके खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा – 188 के तहत कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने कहा कि हमने इसके पूर्व बिहार में किसी खास बीमारी को महामारी घोषित होते हुए नहीं सुना है। बिहार सरकार ने कोरोना वायरस के संक्रमण के विस्तार को रोकने के लिए यह निर्णय लिया है। संबंधितों पर कार्रवाई करने का अधिकार स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव एवं संबंधित जिला के जिलाधिकारी को सौंपा गया है। कोरोना वायरस को महामारी घोषित करने का उद्देश्य इसके संक्रमण के प्रसार को रोकना और महामारी कानून के पालन नहीं करने वाले पर व्यापक समाजहित में कार्रवाई करना है।

अफवाह फैलाने पर होगी कार्रवाई : बिहार में कोरोना वायरस को लेकर गलत नियत से इलेक्ट्रॉनिक/ प्रिंट या सोशल मीडिया के माध्यम से अफवाह फैलाने वाले किसी भी व्यक्ति/ संस्थान/ संगठन पर कार्रवाई की जा सकती है।

किसी भी निजी लैब को जांच का अधिकार नहीं : इस कानून के तहत बिहार में स्थित किसी भी निजी लैब को कोरोना वायरस की जांच का अधिकार  नहीं दिया गया है। किसी भी संक्रमित व्यक्ति के जांच सैंपल को सिविल सर्जन द्वारा अधिकृत नोडल अधिकारी द्वारा एकत्र किया जाएगा और इसकी जानकारी संबंधित जिले के सहायक जिला सिविल सर्जन को तत्काल देनी होगी।

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